इलाज में लापरवाही, निजी अस्पताल को भरना होगा 50 लाख का हर्जाना
जयपुर.17 मार्च(इ खबरटुडे)राजस्थान राज्य उपभोक्ता आयोग ने सेवा और उपचार में लापरवाही बरतने पर जयपुर के निजी अस्पताल को 50 लाख रुपए हर्जाना चुकाने का आदेश दिया है। आयोग ने अस्पताल और चिकित्सक को जिम्मेदार मानते हुए यह राशि एक माह में बच्चे के पिता को चुकाने के निर्देश दिए हैं। अस्पताल को इस रकम पर अक्टूबर 2003 से अब तक 9 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा।16 साल चली हक की लड़ाई
निजी अस्पताल से अपने हक की यह लड़ाई 16 साल तक चली। जयपुर में रहने वाले विकास आर्य की पत्नी ने जून 2001 में जयपुर के एक निजी अस्पताल की चिकित्सक से परामर्श लेना शुरू किया। अक्टूबर 2001 में डिलीवरी के लिए पत्नी को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया। बेटे का जन्म सामान्य डिलीवरी से हुआ था, लेकिन बच्चे के गले में गर्भनाल लिपटी होने के कारण उसके मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रही थी। डॉक्टर ने समय पर उचित उपचार नहीं किया और इससे नवजात के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा और उसको सेरीबल प्लासी हो गया।
राज्य उपभोक्ता आयोग ने दिया फैसला
विकास आर्य ने बताया कि यह मामला करीब दस साल तक राज्य उपभोक्ता आयोग में चला, लेकिन वहां जो हर्जाना तय किया गया, उससे हम संतुष्ट नहीं थे, इसलिए राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग मे अपील की। आयोग ने उपभोक्ता मामलों और स्वास्थ्य सचिव को इलाज में पारदर्शिता के लिए गाइडलाइन बनाने का आदेश भी दिया है। फैसले में लिखा कि अस्पताल में डायग्नोसिस, ट्रीटमेंट और प्रक्रियाओं के बारे में मरीजों को नहीं बताया जाता।
यहां तक कि साफ-सफाई और स्पेशियलिटी उपचार के नाम पर परिजनों तक को मरीजों से अलग कर दिया जाता है। उन्हें रोगी के कमरे तक में नहीं जाने दिया जाता। ऐसे में मरीज और परिजनों को वास्तविक डायग्नोसिस और उपचार के बारे में समय-समय पर पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।