आपदाओं में भी किसानों की न्यूनतम आय सुनिश्चित हो ऐसी फसल बीमा योजना बने
मुख्यमंत्री श्री चौहान फसल बीमा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में
भोपाल,15 जून(इ खबरटुडे)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के लिये ऐसी फसल बीमा योजना बनाने पर जोर दिया है जिससे आकस्मिक विपत्तियों और आपदाओं में भी उनकी न्यूनतम आय सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि किसानों की व्यवहारिक दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए फसल बीमा योजना बनायी जाना चाहिये। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ फसल बीमा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों को जोखिम से पूरी तरह सुरक्षित करने वाली फसल बीमा योजना बननी चाहिये। कृषि आज भी हमारी अर्थ-व्यवस्था का आधार है। मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये हरसंभव प्रयत्न किये गये हैं। प्रदेश की कृषि विकास दर में चमत्कारी वृद्धि सिंचाई सुविधाओं के व्यापक विस्तार के कारण संभव हुई है। खेती की लागत घटाना, किसान को उत्पाद का उचित मूल्य, प्राकृतिक आपदा में नुकसान की भरपाई लाभप्रद खेती के लिये आवश्यक है। प्रदेश में किसानों को लागत कम करने के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध करवाया गया। उन्होंने कहा कि आज भी मौसम आधारित खेती होती है और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होती है। फसल नष्ट होने के जोखिम को सुरक्षित कर ही किसानों को सुखी बनाया जा सकता है। पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में सोयाबीन और गेहूँ की फसल प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने पर किसानों को 3,300 करोड़ रूपये की राहत वितरित की गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में लागू फसल बीमा योजनाएँ अव्यवहारिक हैं तथा किसान हितैषी नहीं हैं। इसमें फसलों की क्षति के आकलन में अधिक समय लगता है। फसल बीमा योजना के दायरे में अऋणी किसानों तथा सभी फसलों को लाया जाना चाहिये। अफलन, सूखा की स्थिति में भी राहत देने का प्रावधान होना चाहिये। बीमा राशि के दावों के निपटान तेजी से होना चाहिये। राहत की राशि सीधे किसानों के खाते में जाना चाहिये। फसलों के मूल्य गिरने से होने वाले नुकसान की भरपाई का प्रावधान होना चाहिये। योजना का प्रीमियम न्यायोचित होना चाहिये ताकि किसान आसानी से दे सके।
कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि किसानों को संकट के क्षणों में सुरक्षा देने के लिये बीमा सुरक्षा की आदर्श योजना बनाना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि आपदाओं से किसानों को बचाना राज्य और केन्द्र दोनों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हासिल करते हुए गेहूँ उत्पादन और दूध उत्पादन में देश में नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि किसानों की नई फसल बीमा योजना बनाने के लिये पूरे देश में संगोष्ठियों का आयोजन होना चाहिये ताकि केन्द्र सरकार को भी इस दिशा में कदम उठाने में विशेषज्ञ विचारों की मदद मिले। उन्होंने कहा कि किसानों के लिये मध्यप्रदेश ने आगे बढ़कर काम किया है। चाहे उन्हें सुविधाएँ उपलब्ध करवाना हो या उदारतापूर्वक राहत राशि देने का निर्णय हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन करना अब जरूरी हो गया है।
मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रतिबद्ध प्रयासों से मध्यप्रदेश देश में कृषि का ताज बन गया है। गेहूँ उत्पादन में पंजाब, हरियाणा और दूध उत्पादन में महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। बासमती के उत्पादन में भी आगे है। कृषि वृद्धि दर अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अब मध्यप्रदेश के किसानों के लिये नई फसल बीमा योजना बनाने की ऐतिहासिक पहल हो रही है। राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के क्रियान्वयन में आई कमियों को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश ने अब अपनी स्वयं की कृषि बीमा योजना बनाने में कदम बढ़ा दिया है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाजपा के उपाध्यक्ष और मध्यप्रदेश के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, कृषि लागत और कीमत आयोग के अध्यक्ष डॉ. अशोक विशनदास, केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अपर सचिव ए.के. श्रीवास्तव के अलावा विदेशों के कृषि विशेषज्ञ एवं बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। शिकागो से फसल बीमा विशेषज्ञ जोशुआ मेडसन, अर्जेंटीना के डॉ. मिग्यूल फसको, सिंगापुर के कृषि प्रमुख एशिया पेसिफिक क्रिस्टोफर कोए, जर्मनी से डॉ. लीफ हेल्मफहार्ट और स्विटजरलेंड की सुश्री हेरिनी कनान और फसल बीमा से जुड़े विषय-विशेषज्ञ एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।