अयोध्या केस: ‘श्रीराम अयोध्या के राजा थे और उनका जन्म वहां हुआ था’
नई दिल्ली, 14 अगस्त (इ ख़बर टुडे)। अयोध्या केस की सुनवाई के छठे दिन रामलला विराजमान के लिए वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने बहस की शुरुआत स्कंद पुराण के जिक्र से की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आज वो पहले ऐतिहासिक तथ्यों को रखेंगे, इसके बाद पुरातात्विक यानि ज़मीन की खुदाई में मिले सबूतों के ज़रिए उसे साबित करेंगे. उन्होंने स्कंद पुराण का हवाला देते हुए बताया कि कैसे सरयू नदी में स्नान के बाद जन्मभूमि दर्शन की परंपरा है. जस्टिस भूषण ने वैद्यनाथन से पूछा- ये पुराण कब लिखा गया था? वैद्यनाथन ने बताया- महाभारत के वक्त वेद व्यास ने इसकी रचना की थी.
वकील सीएस वैद्यनाथन ने सन् 1608-1611 के बीच अयोध्या की यात्रा करने वाले ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि फिंच ने “Early travels in India” नाम की पुस्तक लिखी जिसमें भारत आने वाले 7 टूरिस्ट के संस्मरण थे. इसके साथ ही सीएस वैद्यनाथन ने कई टूरिस्ट की पुस्तकों का हवाला देकर साबित करने की कोशिश की कि कैसे वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. जस्टिस बोबडे ने पूछा-इस जगह को कब बाबरी मस्जिद के तौर पर जाना जाता था. वैद्यनाथन का जवाब- 19वीं सदी में…इससे पहले कभी मस्जिद के तौर पर नहीं जाना गया…
वकील वैद्यनाथन ने कहा कि राम जन्मभूमि पर स्थित किला बाबर ने तोड़ा था या औरंगजेब ने तोड़ा था इसको लेकर दो अलग राय है लेकिन राम अयोध्या के राजा थे और उनका जन्म वहां हुआ था इस पर कोई भ्रम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- बाबरी मस्जिद का जिक्र कब आया?…वैद्यनाथन ने कहा- 19वीं सदी में, उससे पहले इसका कहीं जिक्र नहीं मिलता है. कोर्ट ने फिर पूछा- इस बात के क्या प्रमाण हैं कि बाबर ने मस्जिद बनाने का आदेश दिया था?
वकील सी एस वैद्यनाथन ने श्री राम जन्मभूमि की प्रामाणिकता साबित करने के लिए 1854 में प्रकाशित गजेटियर का भी हवाला दिया. दरअसल, ब्रिटिश काल में शुरू किए गए गजेटियर वो सरकारी दस्तावेज हैं, जिनमें किसी इलाके की सामाजिक, आर्थिक व भौगोलिक जानकारी होती है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जब वैद्यनाथन की ओर से हवाला दिये गए गजेटियर की प्रामाणिकता के बारे में सवाल किया तो वैद्यनाथन ने जवाब दिया- वो कोर्ट रिकॉर्ड का हिस्सा रहे हैं. इस पर जस्टिस चन्द्रचूड़ ने टिप्पणी की- गजेटियर के होने पर सवाल नहीं, पर हां, उसका कंटेंट बहस का विषय हो सकता है.
रामलला के वकील ने फैज़ाबाद के सेटलमेंट कमिश्नर रह चुके पी कार्नेगी के बयान का हवाला दिया कि अयोध्या का हिंदुओं के लिए वही महत्व है, जो मुसलमानों के लिए मक्का का है.
साकेत का इतिहास
रामलला के वकील वैद्यनाथन ने दलील दी कि साकेत का इतिहास जो 600 बीसी में लिखा गया है. उसमें भी श्रीराम और उनके वंशज का जिक्र है. इसमें साकेत कौशल साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है. वैद्यनाथन ने चाइनीज विद्वान फ़ा हुएन का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने भी अयोध्या की यात्रा की थी और अपने यात्रा वृत्तांत व यात्रा से संबंधित किताब में अयोध्या राम जन्मभूमि का जिक्र किया था. वैद्यनाथन ने एलेग्जेंडर कुंनिंगहम की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि एलेग्जेंडर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ईसा मसीह के जन्म से पहले राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण किया था. राजा विक्रमादित्य ने तक़रीबन 368 मंदिरों का निर्माण कराया था जिसमें भगवान राम का जन्मस्थान भी है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- परिस्थिति से लगता है कि वहां हिन्दू, मुस्लिम, बुद्ध और जैन धर्म का प्रभाव रहा है…जिस पर रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया कि इन धर्मों का प्रभाव था लेकिन जन्मभूमि पर हिंदू धर्म का पुनर्जीवन हुआ…एक बात जो थी जो हमेशा स्थिर रही वो थी राम जन्मभूमि के लिए लोगों की आस्था उनका विश्वास…
रामलला के वकील ने कहा कि गुप्त काल यानी ईसा पूर्व छठी सदी से लेकर उत्तर मध्य युग तक रामलला के वकील ने रामजन्मभूमि की सर्वकालिक महत्ता और महात्म्य बताया…कभी साकेत के नाम से मशहूर नगर ही अब अयोध्या है. यहीं सदियों से लोग राम के प्रति श्रद्धा निवेदित करते रहे हैं. यहां तक कि बौद्ध, जैन और इस्लामिक काल में भी श्रद्धा के स्रोत का ये स्थान राम जन्मस्थान के रूप में ही लगातार प्रसिद्ध रहा…इस अजस्र लोकश्रद्धा की वजह से ही सनातन हिन्दू धर्म पुनर्जागरण हुआ…इस विवादित स्थान पर हमारे दावे का आधार भी यही है कि ये पूरा स्थान ही देवता है. लिहाज़ा इसका दो तीन हिस्सों में बंटवारा नहीं हो सकता. इसके साथ ही सुनवाई पूरी हुई. अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.