अब चली निपटारे की सियासत
प्रत्याशी घोषणा के पूर्व ही दलों में आपसी फजीते शुरु
उज्जैन 27 अक्टूबर। राजनैतिक दलों में प्रत्याशी चयन का अंतिम दौर चालू हो गया है। अंतिम दौर कई मायने में महत्वपूर्ण बन गया है। इसी अंतिम दौर में सियासतदारों ने निपटारे की सियासत शुरु कर दी है। प्रत्याशी घोषणा के पूर्व दलों में अंदरुनी फजीते की यह शुरुआत है। इसके आगे-आगे देखिये होता है क्या?
सत्ताधारी दल और विपक्ष म.प्र. में यही दो वजूदमंद हैं। विधानसभा चुनाव 2013 में भी मुख्य मुकाबला इन्हीं के बीच होना है। भाजपा और कांग्रेस के अतिरिक्त म.प्र. में दो-चार दल ही अपनी उपस्थिति दर्ज करवा पाते हैं। शेष का खाता भी नहीं खुलता है। उौन जिले में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार ही आपस में प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। जिले के 7 में से 2 विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हैं शेष 5 अनारक्षित। अनारक्षित 5 सीटों में से सर्वाधिक कांटें की दावेदारी जिला मुख्यालय की उत्तर और दक्षिण सीट के लिये हैं। इसमें भी दक्षिण सीट के लिये कांग्रेस और भाजपा दोनों में जमकर मशक्कत हो रही है। निपटारे की राजनीति भी चल रही है। अभी तक पेनलों में जिन भी दावेदारों के नाम ऊपर रहे हैं, सूत्रों का कहना है कि ये नाम अंतिम दौर में भी पलटी खा सकते हैं। इसके पीछे कारण इनके पुराने कर्म आड़े आने की बात कही जा रही है।
नये नाम की खोज भी जारी
भाजपा संगठन में वर्तमान में सामने चल रहे दावेदारों के साथ ही नये नामों की खोज भी शुरु कर दी गई है। इसके चलते मीसा बंदियों और पुराने जनसंघियों को तलाशा जा रहा है। इनमें भी ऐसे वजूदमंद को देखा जा रहा जो कि संगठन में तमाम नेताओं से जुड़ा रहा हो और दाग की स्थिति में भी न हो। ऐसी परिस्थिति का अगर कोई मिलता है तो संगठन यहां कई सारी आगामी परिस्थितियों को अंजाम दे देगा। एक नई सियासत दक्षिण क्षेत्र में खड़ी हो जायेगी।
सीडी के बहाने सीढ़ी चढ़ने की कोशिश
दक्षिण की सीट को लेकर भाजपा में फजीते कुछ यादा ही बढ़ गये हैं। पार्टी की ओर से चल रहे नाम पर वैसे तो सूचना आम कर दी गई है। इसके विपरीत संघ की ओर से बढ़ाये गये नाम को लांछित करने की कोशिश मिली जुली कुश्ती का नमूना बताया जा रहा है। चर्चा है कि सीडी के बहाने सीढ़ी चढ़ने की कोशिश अंतिम दौर में जाकर नाकाम हो सकती है। अंदर के सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि यह सीडी का प्रपंच भी पूर्व से ही रचा गया था। इस प्रपंच का उपयोग अब जाकर किया गया है। वैसे सूत्रों का यह भी कहना है कि यादा फजीते की स्थिति पड़ी तो आगे जाकर वर्तमान स्थिति को यथावत किया जा सकता है। इस स्थिति के चलते वर्तमान विधायक को अवसर मिलना आसान हो जायेगा। सीडी का सच चाहे जो हो, इसके बहाने संगठन के सामने वर्तमान के रनर-अप एक-दूसरे के राज खोलते जा रहे हैं। जुए में जिस तरह पत्ते रखा जाते हैं, वैसे ही स्थिति में यहां भी एक के बाद एक पत्ता सामने लाया जा रहा है। विकास प्राधिकरण के एक पूर्व उपाध्यक्ष भोपाल से दिल्ली तक दस्तावेजों का बंडल लेकर शनिवार रात पहुंच गये हैं। इसके चलते एक बार फिर से पूरे समीकरण दक्षिण के दावेदारों के गड़बड़ाएंगे।
एक को आश्वासन दूसरे को टिकट
कांग्रेस ने दक्षिण को लेकर वर्तमान चर्चाओं के मुताबिक हल निकाल लिया है। वर्तमान में तो इस हल पर काम किया जा रहा है। इसके मुताबिक एक को टिकट देकर दूसरे को सरकार आने का आश्वासन दिया गया है। इसके चलते जिलाध्यक्ष जयसिंह दरबार का नाम फायनल माना जा रहा है। सिर्फ अंतिम मोहर लगना बाकी बताई जा रही है। वैसे उनकी राह भी आसान नहीं मानी जा रही है। टिकट के दावेदारों में उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों में से एक को बड़ा आश्वासन दिया गया है।