अपनी जान पर खेलकर चालीस बच्चों की जान बचाने वाले समर्पण का राष्ट्रपति जीवन रक्षक पदक के लिए चयन
रतलाम,10 मई (इ खबरटुडे)। आंगनवाडी के चालीस से अधिक नन्हे बच्चों की जान बचाने की बहादुरी दिखाने वाले बालक समर्पण का चयन राष्ट्रपति जीवन रक्षक पदक के लिए किया गया है। पिपलौदा निवासी समर्पण मालवीय ने आंगनवाडी में घुस आए खतरनाक ब्लैक इंडियन कोबरा को पकड कर आंगनवाडी के बच्चों के जीवन को सुरक्षित किया था। हांलाकि इस पदक को हासिल करने के लिए समर्पण को सरकारी लालफीताशाही से लंबे समय तक जूझना पडा।
तेरह वर्षीय समर्पण ने यह कारनामा महज ग्यारह वर्ष की आयु में कर दिखाया था। घटना 23 जनवरी 2017 की है,जब पिपलौदा की शासकीय आंगनवाडी में अचानक एक बेहद जहरीला ब्लैक इंडियन कोबरा घुस आया था। उस समय आंगन वाडी में तीन से पांच वर्ष आयु के नन्हे बालक बालिकाएं मौजूद थे। इसी परिसर में बालिकाओं का छात्रावास भी है। इस तरह परिसर में चालीस से अधिक बच्चे थे। जैसे ही समर्पण को सांप घुसने की जानकारी मिली,वह बिना घबराए आंगनवाडी के कक्ष में घुसा। सभी बच्चों को उसने बाहर निकाला। सांप आंगनवाडी में रखी अलमारी के नीचे घुस गया था। समर्पण ने एक लकडी और चिमटे की मदद से सांप को पकडा और बाहर लेकर आया। मास्टर समर्पण ने सांप की भी जीवन रक्षा की। उसने सांप को एक डिब्बे में बंद कर दिया और बाद में उसे जंगल में छोड दिया।
अचानक हुआ पुरस्कार के लिए चयन
समर्पण के राष्ट्रपति जीवन रक्षक पदक के लिए हुए चयन की कहानी भी बडी रोचक है। समर्पण के पिता गणेश मालवीय ने बताया कि जब समर्पण ने इस कारनामें को अंजाम दिया,उस वक्त कुछ लोगों ने इस घटना के फोटो विडीयो बना लिए थे। यह फोटो और विडीयो सोशल मीडीया पर काफी वायरल होने लगे थे। इसी दौरान त्तकालीन एसपी अमित सिंह को भी इस घटना की जानकारी मिली। जब उन्हे यह जानकारी मिली तब उनका कहना था कि ऐसे बहादुर बच्चे को तो राष्ट्रपति पुरस्कार मिलना चाहिए। यह बात सुनकर समर्पण के पिता गणेश मालवीय ने राष्ट्रपति पुरस्कार की प्रक्रिया पता करने के प्रयास प्रारंभ किए और इसी क्रम में उन्होने केन्द्रीय गृह मंत्रालय में संपर्क किया। गृह मंत्रालय से उन्हे इसके आवेदन का प्रारुप प्राप्त हुआ। उन्होने इस प्रारुप को भरकर गृह मंत्रालय को भेजा।
पुरस्कार चयन में भी भ्रष्टाचार
श्री मालवीय ने बताया कि उनके द्वारा प्रारुप भर कर भेजने के बाद दिल्ली से एक एनजीओ की ओर से उनके पास फोन आया,जिसमें उनसे कहा गया कि यदि पुरस्कार लेना है,तो उन्हे एक लाख रु. देना होंगे। श्री मालवीय ने इससे साफ इंकार कर दिया और इस बात की शिकायत गृह मंत्रालय को की। श्री मालवीय ने बताया कि समर्पण को उक्त पुरस्कार वर्ष 2017 में ही मिल जाना चाहिए था,लेकिन वर्ष 2017 के बाद वर्ष 2018 भी निकल गया,लेकिन पुरस्कार की घोषणा नहीं हुई। बाद में बता चला कि बच्चों को दिए जाने वाले बहादुरी पुरस्कारों में भ्रष्टाचार का सिलसिला चल रहा था। गृह मंत्रालय के संज्ञान में यह तथ्य आने के बाद बडे स्तर पर कार्यवाही हुई और इसके बाद वर्ष 2019 में केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गाबा द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र उन्हे 23 फरवरी 2019 को प्राप्त हुआ। यह पत्र 31 का चयन राष्ट्रपति के जीवन रक्षक पदक हेतु किया गया है।
अभी भी जारी है प्रक्रिया
श्री मालवीय ने बताया कि केन्द्रीय गृह सचिव का पत्र मिलने के बाद बालक के वैरिफिकेशन की प्रक्रिया चल रही है। स्थानीय स्तर पर वैरिफिकेशन हो चुका है। वैरिफिकेशन की यह प्रक्रिया भी काफी धीमी गति से चली। यहां तक कि गृह विभाग द्वारा हाल ही में इसके लिए कलेक्टर कार्यालय को स्मरण पत्र भी भेजा गया है। वैरिफिकेश होने की सूचना कलेक्टर द्वारा राज्य के गृह विभाग को भेजी जानी है। समर्पण को उममीद है कि कलेक्टर कार्यालय से समयसीमा के भीतर वैरिफिकेशन की सूचना भोपाल को भिजवा दी जाएगी। इसके बाद गृह विभाग द्वारा पुरस्कार की राशि एक लाख रु. का चैक भेजा जाएगा। जीवन रक्षक पदक प्रदान करने की जिममेदारी राष्ट्रपति द्वारा राज्य सरकार को सौंपी गई है। राज्य सरकार अपनी सुविधा से कार्यक्रम आयोजित कर बालक को यह पदक प्रदान करेगी।