December 26, 2024

अन्तर्मन के शुभ भावों को देकर जा रहा हूं – लोकसन्तश्री

chaturmash

मुनिराज निपुणरत्न समाज की बड़ी धरोहर, काश्यप परिवार बना सौभाग्यशाली

रतलाम 15 नवम्बर (इ खबरटुडे)। ऐतिहासिक चातुर्मास की पूर्णता के बाद लोकसन्त, आचार्य, गच्छाधिपति, श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. मंगलवार सुबह रतलाम नगर की सीमा से नामली के लिए विहार किया। इससे पूर्व उन्होंने कहा कि रतलामवासियों ने चातुर्मास में सम्पूर्ण भावों से तप-आराधनाएं कर पूरा लाभ कमाया है। सबके शुभ भावों से वे बेहद प्रसन्न हैं। रतलाम से विहार कर वे भले ही जा रहे हैं, लेकिन सबके लिए अन्तर्मन के शुभ भावों को देकर जा रहे हैं। शहरवासी खूब मिल-जुलकर स्नेह, सद्भाव से रहें और आराधना के भावों को बनाए रखें।
चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप परिवार बड़ा सौभाग्यशाली है, जिसने रतलाम में नया इतिहास रचा। मुनिराज निपुणरत्न समाज की बड़ी धरोहर है। उनका अथक परिश्रम बताता है कि वे समाज के लिए भविष्य की विशेष शक्ति रहेंगे । लोकसन्तश्री ने कहा कि काश्यप परिवार ने चातुर्मास आयोजित कर अपनी गुरुभक्ति का दर्शन कराया है। परिवार की उदारता एवं समर्पण भाव से चातुर्मास सफल, सार्थक और यशस्वी होकर निर्विघ्न पूर्ण होना बड़ी उपलब्धि है। चातुर्मास के आयोजन से यह परिवार सौभाग्यशाली बन गया है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में इस चातुर्मास की सुवास फैली है, इसकी सफलता का श्रेय काश्यप परिवार के साथ मुनिमण्डल को है, लेकिन सबसे बड़ा श्रेय मुनिराज निपुणरत्न को देता हु। उनके द्वारा चारों माह प्रवचन का क्रम निरन्तर चला, साथ ही सुबह भक्तामर न्नेत व शाम को प्रतिक्रमण की आराधना भी अखण्ड रुप से हुई। उत्तराध्ययन सूर्त का पूरा वाचन करके भी उन्होंने इतिहास रचा।

 

लोकसन्तश्री ने बताया कि अपने जीवन में उन्होंने भी कई बार उत्तराध्ययन सूर्त का वाचन किया लेकिन उसे पूरा नहीं सुना पाए। रतलाम में मुनिराज निपुणरत्न द्वारा इसकी पूर्णता करना भी चातुर्मास की उपलब्धि है। वे समाज के लिए भविष्य की विशेष शक्ति होकर बहुत बड़ी धरोहर हैं। मुनियों से सभी ज्ञान और शक्ति प्राप्त कर इनके माध्यम से अपने जीवन को ऊंचा उठाने का प्रयास करे। लोकसंतश्री छाजेड प्रिन्टरी प्रा.लि. से कटारिया फार्म हाउस पहुंचे थे, वहां से उन्होनें नामली के विहार किया। रतलाम से उन्हें बिदाई देने कई गुरूभक्त साथ गए।

सूना हो गया जयन्तसेन धाम –
गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के चातुर्मास की घोषणा के साथ ही नवोदित तीर्थ के रुप में जयन्तसेन धाम के निर्माण कार्य तीव्र गति से पूर्ण किए गए, चातुर्मास के दौरान इस तीर्थ में त्याग, तपस्या, आराधना और प्रवचनों की श्रृंखला से पूरे शहर में धर्म और आध्यात्म का वातावरण बना। पांच लाख से अधिक गुरुभक्तों ने जयन्तसेन धाम में उपस्थिति दर्ज कराई और चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप परिवार ने उनकी भक्ति का लाभ लिया। लोकसन्तश्री के विहार के बाद मंगलवार को जयन्तसेन धाम सूना-सूना हो गया। इसके साथ ही जयन्तसेन धाम के मार्ग की चहल-पहल भी कम हो गई।
जिनशासन की पहली 11 अ_ाई का पारणा कल –
लोकसन्तश्री की निश्रा में रतलाम चातुर्मास ने तप-आराधना के कई इतिहास रचे हैं। नामली निवासी इन्दुबाला मुकेश कुमार चत्तर ने इस दौरान 11 अठाई की तपस्या कर जिनशासन की पहली तपस्वी होने का गौरव हासिल किया। लोकसन्तश्री से प्रत्याख्यान व आशीर्वाद प्राप्त कर की गई इस 99 दिवसीय तपस्या का पारणा नामली में 17 नवम्बर को होगा। प्रात: 8.00 बजे लोकसन्तश्री की निश्रा में पारणा महोत्सव आयोजित किया गया है।

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