Neemuch News: नीमच जिले को मिलेगी बड़ी सौगात, 50 हजार करोड़ रुपए के निवेश के साथ हजारों लोगों के लिए खुलेंगे रोजगार के नए दरवाजे
Neemuch News: मध्य प्रदेश राज्य की नीमच जिले को सौगात मिली है। नीमच जिले में स्थित गांधी सागर बांध में सरकार अब परमाणु ऊर्जा से बिजली बनाने की तैयारी कर रही है। सरकार की फैसले से जिले में लाखों लोगों को बिजली की किल्लत से छुटकारा तो मिलेगा ही मिलेगा साथ ही साथ हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए दरवाजे भी खुलेंगे।
पाठकों को बता दें कि जिले में गांधीसागर के पास न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। इसे भारत सरकार के उपक्रम न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) एवं नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) शुरू करेंगे। इसके लिए संयुक्त टीम ने सर्वे कर लिया है। अब शासन से जमीन व पानी की उपलब्धता के आधार पर यहां इसकी क्षमता निर्धारित की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार इसके लिए जल्द ही दिल्ली से एक टीम नीमच व सिवनी में दस्तक दे सकती है। नीमच में प्रोजेक्ट आया तो क्षेत्र के 5 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। जिले के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
एनपीसीआईएल ने इसी महीने मप्र में 4 नए न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इसके लिए नीमच में गांधीसागर के पास, देवास के बावड़ीखेड़ा, सिवनी के किंडराई और शिवपुरी के खाकरोन में जगह का चयन प्रारंभिक रूप से हो गया है।
नीमच के गांधीसागर में प्लांट के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है। वहीं जिला अरावली पर्वतमाला से घिरा है जिसके चलते लो स्किल्स वाले फाइटर प्लेन भी फ्लाई नहीं कर सकते। इस क्षेत्र आबादी भी नहीं है। इसके चलते न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट के लिए यह स्थान सही है। सूत्रों के अनुसार एनटीपीसी की टीम ने प्रारंभिक सर्वे पूरा कर मप्र शासन को जमीन व पानी की पूर्ति के लिए फाइल भेज दी है।
नीमच प्रोजेक्ट में 1200 मेगावाट की 2 से 6 यूनिट तक प्रस्तावित हैं। इसमें 1200 से लेकर 2000 एकड़ तक जमीन की जरूरत होगी। 2 यूनिट का प्लांट भी लगता है तो नीमच में रोज 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा। अभी सोलर प्रोजेक्ट से 500 मेगावाट बिजली रोज बन रही है।
50 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट
यदि पॉवर प्रोजेक्ट आता है तो कम से कम 50 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट होगा। इसमें 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। अप्रत्यक्ष रूप से करीब 5 से 7 हजार को काम मिलेगा। जिले में व्यापार और आवागमन की सुविधाएं बढ़ेंगी। इस परियोजना के शुरू होने से जिले में होने वाला विकास भी तेज रफ्तार पकड़ेगा।
साल में 86 एमसीएम पानी की जरूरत
गांधीसागर में दूर-दूर तक पथरीली जमीन है। इसके चलते निर्माण मजबूत होगा व जमीन का सही उपयोग भी हो सकेगा। बांध की क्षमता करीब 6500 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) है। पॉवर प्रोजेक्ट के लिए सालभर में लगभग 86 एमसीएम पानी की जरूरत है। मामला मप्र शासन स्तर पर रुका है।
जमीन और पानी के लिए प्रस्ताव भेज रखा
एनटीपीसी भोपाल महाप्रबंधक (न्यूक्लियर इंजीनियरिंग) आनंदप्रसाद सामल ने बताया कि कितनी बड़ी यूनिट लगाएंगे यह जमीन व पानी की उपलब्धता पर निर्भर करेगा। शासन को प्रस्ताव भेज रखा है। राजस्थान सरकार से हुए समझौते को भी देखना होग। पानी व जमीन की उपलब्धता तक कुछ कहना मुश्किल है।