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Mandsaur News: 12 जिलों में मेडिकल संस्थान 40 से भी कम

 

Mandsaur News: मध्यप्रदेश में सरकारी अस्पतालों की संख्या बढ़ी है, बजट भी साल दर साल बढ़ा है, लेकिन जब इन संसाधनों के जिलावार वितरण को देखें तो तस्वीर चौंकाने वाली है। जिन जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं अपेक्षाकृत ठीक हैं, वहीं बेड्स, डॉक्टर और संस्थानों की भरमार है।

जबकि आदिवासी, दूरस्थ या पिछड़े क्षेत्र के जिन जिलों को सबसे ज्यादा जरूरत है, वहां सुविधाएं या तो बेहद सीमित हैं या नाममात्र की हैं। सरकार ने समय-समय पर अस्पतालों में बेड बढ़ाने और नये अस्पताल खोलने की घोषणा की है, लेकिन आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में उपलब्ध डेटा कुछ और ही कहानी बयां करता है।

राजधानी भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर जैसे शहरों में जहां बेड्स और एलोपैथिक अस्पतालों की संख्या 2000 से ऊपर है, वहीं दूसरी ओर आदिवासी बहुल जिलों जैसे डिंडोरी, अलीराजपुर, उमरिया और मंडला में यह संख्या 300 से भी कम है। प्रदेश के जिलों में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के भीतर बेड्स की उपलब्धता पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि करीब एक दर्जन जिले ऐसे हैं जहां प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक बेड भी उपलब्ध नहीं है।

मध्यप्रदेश के जिलों में कुल 4,231 एलोपैथिक मेडिकल संस्थान हैं, जिनमें 53,322 बिस्तर उपलब्ध हैं। यह आंकड़े अस्पतालों की कुल संख्या और बेड्स के जिलावार वितरण में भारी अंतर को उजागर करते हैं।

ये है जिलों की स्थिति

आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में उपलब्ध डेटा के मुताबिक प्रदेश के 12 से अधिक जिले ऐसे हैं जहां एलोपैथिक मेडिकल संस्थानों की संख्या 40 से कम है। इनमें प्रमुख रूप से अलीराजपुर (22), डिंडोरी (26), उमरिया (30), श्योपुर (29), मंडला (35), अनूपपुर (36), हरदा (34), निवाड़ी (28), बैतूल (39), कटनी (38), बालाघाट (35) और बुरहानपुर (32) शामिल हैं। इन जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सामुदायिक अस्पताल तक की संख्या सीमित है, जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच चुनौती बनी हुई है। इसके उलट, भोपाल (116), इंदौर (121), जबलपुर (159), ग्वालियर (132) और सागर (148) जैसे जिले ऐसे हैं जहां 100 से अधिक एलोपैथिक मेडिकल संस्थान कार्यरत हैं।

बिस्तरों की उपलब्धता में भी जिलों के बीच भारी अंतर

अस्पताल में बिस्तरों की उपलब्धता में भी जिलों के बीच भारी अंतर है। भोपाल (2,318), इंदौर (2,220), जबलपुर (2,463), ग्वालियर (1,958), और सागर (1,876) वे जिले हैं जहां 2,000 या उसके आसपास और उससे अधिक बिस्तर उपलब्ध हैं। ये प्रदेश के वे गिने-चुने जिले हैं जहां बिस्तरों की उपलब्धता चिकित्सा मानकों के नजदीक है। दूसरी ओर, अलीराजपुर (312), डिंडोरी (420), श्योपुर (387), उमरिया (385), हरदा (441), मंडला (468), बुरहानपुर (476) और झाबुआ (497) जैसे कई जिले ऐसे हैं जहां कुल बिस्तरों की संख्या 500 से भी कम है। राजधानी भोपाल में प्रति एलोपैथिक संस्थान औसतन लगभग 20 बेड्स उपलब्ध हैं, जो कि संतोषजनक माना जा सकता है। वहीं अलीराजपुर (312 बेड्स/22 संस्थान), श्योपुर (387 बेड्स/29 संस्थान) और डिंडोरी (420 बेड्स/26 संस्थान) में यह औसत 12 से 14 बेड्स प्रति संस्थान ही है। इसका सीधा असर ग्रामीण और वनवासी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता पर पड़ता है।