Mandsaur: परिवहन दफ्तर में स्टाफ नहीं आने से आमजन को हो रही है परेशानी, कुर्सियां खाली-कक्षों पर लगा ताला
Mandsaur news: मंदसौर जिला मुख्यालय स्थित परिवहन विभाग कार्यालय में दोपहर तक सन्नाटा पसरा मिला। कुर्सियां खाली हैं, अधिकांश कक्षों पर ताला लगा है। अगर कभी भी बड़े अधिकारी यहां औचक निरीक्षण करने आ जाएं तो हकीकत से खुद रूबरू हो जाएंगे।
शासन द्वारा निर्धारित ऑफिस टाइम में भी स्टाफ नहीं मिल पाता। नतीजतन गरोठ, भानपुरा समेत दूरदराज से पहुंचे आमजन भटकते रहते हैं। जवाब देने के लिए भी कोई जिम्मेदार नहीं मिलता। यही वजह है कि लाइसेंस-लर्निंग, रजिस्ट्रेशन, परमिट, फिटनेस नवीनीकरण जैसे 12 से ज्यादा कामों की पेंडेंसी फाइलें 2200 तक पहुंच गई हैं।
दरअसल 30 सितंबर 2024 की शाम से ही मंदसौर समेत प्रदेश के सभी जिलों में परिवहन कार्यालयों में स्मार्ट चिप कंपनी ने काम बंद कर दिया था।
मंदसौर कार्यालय में भी कंपनी का 7 सदस्यीय स्टाफ काम कर रहा था। जिन्हें हटा दिया गया। वर्तमान में 3 सदस्यीय स्टाफ के जिम्मे ही निरीक्षण, मीटिंग अटैंड करना, जरूरी परमिशन, सत्यापन समेत सभी तरह के काम हैं। इसी को आधार बनाकर महीनों से विभाग ने बस-ट्रक समेत स्कूली वाहनों की चेकिंग का अभियान तक नहीं चलाया।
प्रभारी अधिकारी होने से स्टाफ गंभीर नहीं- दरअसल परिवहन कार्यालय में प्रभारी अधिकारी होने से स्टाफ गंभीर नहीं है। प्रभार वीरेंद्रकुमार यादव के पास है। इसी तरह क्लर्क में आरआर शिंदे व पूजा मुकाती ही हैं। यहां करीब डेढ़ साल से यहां फुल फ्लैश अधिकारी का पद रिक्त है।
जिले में 14 कंपनियों के शोरूम संचालित हैं। वाहनों के खरीदार डीलर्स शोरूम से लेकर विभाग स्तर तक दस्तावेजों के लिए आए दिन संपर्क करते हैं। इसकी वजह काम में देरी होना है। शहर के राजेंद्र सनवानिया कहते हैं लाइसेंस बनवाने कार्यालय में आए हैं लेकिन कार्यालयों पर ताले लटके रहते हैं।
खरीदारों को हो रही है परेशानी
खरीदारों को डीलर्स शोरूम से लेकर विभाग तक भटकना पड़ता है। स्टाफ बढेगा तभी नाम ट्रांसफर-रजिस्ट्रेशन जैसे काम समय पर हो सकते हैं। कमलसिंह चौहान कहते हैं यहां तो पूछताछ कक्ष से लेकर अधिकांश कमरों में ताले लगे हैं। देरी से परेशानी होती है। स्टाफ ही नहीं, फिर भी पेंडेंसी निपटाते हैं।
वीरेंद्र यादव, प्रभारी डीटीओ मंदसौर ने कहा कि करीब 6 महीने से स्मार्ट चीप कंपनी के कर्मचारी चले गए। वर्तमान में 3 सदस्यीय स्टाफ से ही सभी काम कराने पड़ते हैं। मीटिंग, निरीक्षण व अन्य जिम्मेदारी शामिल है। फिर भी कोशिश करते हैं कि पेंडेंसी नहीं रहे। सभी काम ऑनलाइन हो चुके हैं। वाहन रजिस्ट्रेशन व अन्य पेंडेंसी नंबर प्लेट की वजह से होती है। डीलर्स स्तर से समाधान कराएंगे।