Mandsaur News: चंबल पर बन रहे गंगाघाट का निर्माण कार्य 70 फीसदी पूरा
Mandsaur News: जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली चंबल नदी को क्षेत्र में चंबल माता और गंगामाता के नाम से पूजा जाता है। बसई स्थित चंबल तट वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां गंगामाता का प्राचीन मंदिर है। इसमें मां गंगा विराजमान हैं। इसी कारण इस तट को मां गंगा तट भी कहा जाता है। अब यहां घाट का निर्माण 70 फीसदी हो चुका है। इससे आमजनों को सुविधा होगी व मां चंबल का यह तट आकर्षक व आस्था का केंद्र बनेगा।
मान्यता है कि चंबल नदी के उद्गम से लेकर यमुना में मिलने तक सौ नदियों का संगम होता है। इसी कारण इसे पाप मोक्षणी कहा जाता है। क्षेत्र के लोग अनेक अवसरों पर चंबल माता की पूजा करने गंगा तट पर आते हैं। वर्ष 2021 में कामाख्या शक्ति पीठ के महामंडलेश्वर श्री मधुसूदन शास्त्री ने चंबल को गंगामाता का दर्जा दिलाने के लिए एक लाख से अधिक लोगों के साथ चुनरी यात्रा निकाली थी। यह यात्रा बसई चंबल तट से निकली थी। क्षेत्रीय विधायक हरदीपसिंह डंग के माध्यम से शासन से चंबल को गंगामाता का दर्जा देने और यहां गंगाघाट बनाने की मांग की गई थी। इस आयोजन में रामायण सीरियल में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल भी शामिल हुए थे।
घाट पर सुरक्षा के लिए लोहे की जालियां लगाई जाएंगी, चेजिंग रूम भी बनेंगे
बसई चंबल तट पर सालभर में 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। इनमें से अधिकतर अपने दिवंगत स्वजनों की अस्थियों का विसर्जन करते हैं। कई लोग पिंडदान भी करते हैं। गंगामाता के दर्शन के लिए गंगा दशमी, सोमवती और शनिचरी अमावस्या पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
नवरात्रि और गणेश उत्सव के बाद मूर्तियों का विसर्जन भी यहीं होता है। भीड़ को देखते हुए विधायक निधि से गंगा घाट की स्वीकृति दी गई थी। अब यहां घाटों का निर्माण तेजी से हो रहा है। गंगामाता मंदिर परिसर को सुंदर बनाने के लिए पूरे क्षेत्र को सीमेंट-कांक्रीट से बनाया गया है। नए पौधे लगाए जा रहे हैं। नव गंगामाता प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य जारी है। महिलाओं के लिए अलग चेंजिंग रूम भी बनाए जा रहे हैं। घाट के अंतिम सिरे पर सुरक्षा के लिए लोहे की जालियां लगाई जाएंगी।