Mandsaur News: मंदसौर की दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति बनी हुई है 16 वर्षों से प्रदेश में नंबर वन, प्रतिदिन एकत्रित होता है हजारों लीटर दूध
Mandsaur News: मध्य प्रदेश राज्य के मंदसौर जिले में दूध के उत्पादन में बालागुड़ा दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति पिछले 16 वर्षों से नंबर वन के स्थान पर कायम है। इस डेयरी की खास बात यह है कि इसमें प्रतिदिन हजारों लीटर दूध एकत्रित होता है। यह डेयरी मंदसौर जिले के बालागुड़ा गांव में स्थित है। इस डेयरी ने दूध उत्पादन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करके मध्यप्रदेश में अपनी अलग पहचान बना ली है। इस डेयरी पर प्रतिदिन लगभग 15 हजार लीटर दूध पहुंचता है। समिति के अनुसार प्रदेश में 16 व संभाग में 19 साल से यह डेयरी रिकॉर्ड दूध उत्पादन करके पहले नंबर पर है।
गांव का हर दूसरा घर करता है दुग्ध उत्पादन
मंदसौर जिले के बालागुड़ा गांव का हर दूसरा घर मुनाफे के चलते दुग्ध उत्पादन से जुड़कर आत्मनिर्भर बन गया है। कई परिवारों की आजीविका इसी पर निर्भर है। समिति ने अर्जित आय से पेयजल व्यवस्था, पशु शव वाहन समेत अन्य कार्य भी किए हैं। खास बात यह भी है कि यह संस्था लाभांश से अतिरिक्त राशि रोज पशुपालकों को प्रदान करती है।
2003 में आता था मात्र 16 लीटर दूध अब आता है 15000 लीटर
दुग्ध उत्पादन बालागुड़ा सहकारी समिति बालागुड़ा में 2003 में मात्र 16 लीटर दूध आता था जो अब बढ़कर 15000 लीटर हो गया है। दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मर्यादित बालागुड़ा के सचिव घनश्याम पाटीदार बताते हैं कि पहले बालागुड़ा गांव अफीम फसल के अधिक पट्टे होने के चलते जिले व प्रदेश में पहचाना जाता। अब दुग्ध उत्पादन में सबसे आगे हैं। पाटीदार ने बताया कि वर्ष 2003 में जब उन्होंने सचिव का पदभार संभाला था, तब रोज 16 लीटर दूध का कलेक्शन था, जो अब बढ़कर 15000 लीटर हो गया है। लोगों को घर-घर संपर्क कर दूध उत्पादन के फायदे गिनाए तो दूध की मात्रा भी बढ़ती चली गई। इस बीच निजी डेयरी भी खुली लेकिन टिक नहीं पाई।
दूध उत्पादन समिति बालागुड़ा पशुपालकों में बांट देती है मुनाफा
घनश्याम पाटीदार ने बताया कि समिति अपने सदस्यों को दुग्ध संघ के भाव के अलावा लाभांश में से 20 पैसे अतिरिक्त देती है। यानी 6 फैट के दूध का भाव दुग्ध संघ द्वारा 7 रुपए 60 पैसे (प्रति फैट) दिया जाता है लेकिन समिति अपने लाभ को सदस्यों को बांटते हुए 20 पैसे अतिरिक्त देकर 7 रुपए 80 पैसे प्रदान करती है। इस तरह समिति पशुपालकों को प्रतिलीटर 1 रुपया 20 पैसा बढ़ाकर 46 रुपए 80 पैसे का भुगतान करती है। समिति का कहना है कि डेयरी का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है, बल्कि अपना खर्च काटकर मुनाफा पशुपालकों में बांटना है। समिति के 318 सक्रिय सदस्य है। आसपास के क्षेत्र से मिलाकर 400 के करीब पशुपालक रोज दूध लेकर डेयरी पर पहुंचते हैं।