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देसी तरीके से तैयार की खाद और पत्तियों से बनी दवा से खेती में नई पहचान

 

Mandsaur News: मंदसौर जिले के देहरी गांव के किसान बालकृष्ण पाटीदार ने खेती को रसायन मुक्त बनाने का अनोखा तरीका अपनाया है। वे वर्मी कंपोस्ट की जगह सरल कंपोस्ट विधि का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें बार-बार पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती और यह आसानी से बन जाती है। वह 30 किलो गुड़, 30 किलो छाछ और देशी गाय के गोबर से बेहतरीन खाद तैयार करते हैं। इस विधि से उनकी 42 बीघा जमीन उपजाऊ बन गई है।

बालकृष्ण ने खेत पर मशीन लगाई है, जो गोबर को बारीक कर देती है। साथ ही वे एनएरोबिक कंपोस्ट बैग का उपयोग भी कर रहे हैं। इसकी मदद से ऑक्सीजन न होने पर भी ठोस पदार्थ तरल उर्वरक में बदल जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मददगार है।

उन्होंने दसपर्णी अर्क भी बनाना शुरू किया है। इसमें नीम, सीताफल, अमरूद, आंकड़ा, करंज, कनेर, धतूरा जैसी दस पत्तियां लेकर उनमें पपीता, अदरक, बेल, तंबाकू और गोमूत्र मिलाया जाता है। यह अर्क कीटों और इल्ली को खत्म करने में कारगर है और इसका फसलों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

बालकृष्ण बताते हैं कि जीवामृत और देसी टॉनिक के प्रयोग से सोयाबीन जैसी फसलों में पीलापन जैसी समस्या भी दूर हो जाती है। उन्होंने घर पर भी कुछ पौधे उगा रखे हैं ताकि उनकी पत्तियों से यह दवा और खाद लगातार बनाई जा सके।

आज उनकी मेहनत का असर यह है कि आसपास के किसान उनसे सीखने और प्रशिक्षण लेने आते हैं। बालकृष्ण का कहना है कि इस तकनीक से खेती का खर्च लगभग शून्य हो गया है और फसल पूरी तरह सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से तैयार हो रही है।