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40 साल बाद सड़क निर्माण में बढ़ी उम्मीदें

 

Mandsaur News: गांधीसागर से रावतभाटा तक का 32 किलोमीटर लंबा मार्ग दशकों से अधर में लटका हुआ है। इस मार्ग का पर्यटन और आवागमन दोनों के लिए खास महत्व है, क्योंकि यह मन को राजस्थान से जोड़ता है। पिछले 40 सालों से लोग पक्की सड़क के इंतजार में हैं, लेकिन हर बार नई अड़चनें सामने आती रही हैं। नक्शे में समस्या, वन विभाग से एनओसी की बाधा और ठेकेदारों के पुरानी दरों पर काम न करने की जटिलताएं सड़क निर्माण को रोकती रही हैं।

हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मध्यप्रदेश और राजस्थान के संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट देने के निर्देश जारी किए हैं। गांधीसागर से रावतभाटा मार्ग का अधिकांश हिस्सा वन क्षेत्र से गुजरता है। मुकंदरा वन्य क्षेत्र से गुजरने के कारण एनओसी हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। वन विभाग ने निर्माण के लिए 35 हेक्टेयर जमीन और अतिरिक्त विकास शुल्क की शर्त रखी। 7 करोड़ रुपए जमा होने के बाद भी विभाग ने 67 लाख रुपए अतिरिक्त मांगे, जो अब जमा करने के बाद ही री-टेंडर प्रक्रिया पूरी होगी।

सड़क निर्माण पर लगभग 60 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। वर्तमान में यह मार्ग पूरी तरह गड्डों में तब्दील हो गया है और बारिश के समय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्रस्तावित सड़क 7 मीटर चौड़ी होगी, जिससे आवागमन सुगम होगा और पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा। गांधीसागर अभयारण्य में पहले से मौजूद चीते, झील में नौकायन और हिंगलाज रिसॉर्ट जैसी सुविधाएं इसे पर्यटन हब के रूप में विकसित करने में मदद करेंगी।

सड़क निर्माण के दौरान वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे, जबकि राजस्थान के सांसद ने अंडरपास बनाने का सुझाव भी दिया है ताकि पर्यावरण और पर्यटन दोनों सुरक्षित रह सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क बनने के बाद गांधीसागर-रावतभाटा मार्ग पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा और क्षेत्र के विकास को नई दिशा मिलेगी।