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Mandsaur News: एक वर्ष में तीन फसल ले रहे किसान

 

Mandsaur News: क्षेत्र के किसानों ने खेती में नई फसल अपनाकर आय का मजबूत जरिया बना लिया है। आमतौर पर किसान दो फसल लेते हैं व गर्मी में खेत खाली रहते हैं। पानी की आपूर्ति बढ़ने से अब एक ही खेत में किसान साल में तीन फसलें ले रहे हैं। सीतामऊ तहसील के खतरुखेड़ी, खेजड़िया, ढिकनिया, लारनी, लोगनी, पारली, पारसी, बसई, रहीमगढ़ जैसे गांवों के किसानों ने गर्मी में खाली रहने वाले खेतों में सफेद तिल की खेती शुरू की। दो-तीन साल में ही यह खेती फायदे का सौदा बन गई। इस साल तिल की खेती का रकबा बढ़कर 800 बीघा तक पहुंच गया। अकेले खतरूखेड़ी गांव में ही 300 बीघा में तिल की फसल ली जा रही है।

खतरूखेड़ी के किसान बालूराम पाटीदार ने बताया कि पहले सर्दी और बारिश की फसल ही लेते थे। गर्मी में खेत खाली रहते थे। अब तिल की खेती से खेत भी उपयोग में आ रहे हैं और आमदनी भी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि सर्दियों में धनिया, मसूर, सरसों, इसबगोल जैसी फसलें ली जाती हैं। इनकी कटाई के बाद मार्च-अप्रैल में तिल की बुवाई कर दी जाती है। 10 से 15 जून तक तिल की कटाई हो जाती है। इसके बाद बारिश की फसल जैसे सोयाबीन, मक्का, तुअर लगाई जाती है। इस तरह किसान साल में तीन फसलें ले रहे हैं।

अच्छी क्वालिटी का तिल 14 हजार रुपए तक बिक रहा

किसानों ने बताया कि तिल की खेती में प्रति बीघा 2 हजार से 2200 रुपए तक का खर्च आता है। इसमें बीज और खाद का खर्च शामिल है। प्रति बीघा 2 से 4 क्विंटल तक फसल मिल रही है। तिल का भाव 10 से 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। अच्छी क्वालिटी का तिल 14 हजार रुपए तक बिक रहा है। चंबल नदी के किनारे बसे गांवों के किसान भी तीनों फसलों से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। पहले जहां सूखे और वीरान खेत दिखते थे, अब वहां हरियाली लहलहा रही है। तितरोद, गोपालपुरा, करनाली जागीर, खेड़ा, मामटखेड़ा जैसे गांवों में भी अब बड़े पैमाने पर तिल की खेती हो रही है।