Mandsaur News: हर सड़क हुई पक्की,जहां बंजर जमीन थी आज वहां कदम आश्रम व गौशाला
Mandsaur News: मंदसौर जनपद के गांव बेहपुर की पहचान यहां की समृद्ध गौशाला से है, जो आत्मनिर्भरता की एक मिसाल है। इस गौशाला से न सिर्फ गांव के 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला बल्कि धार्मिक केंद्र होने से गांव की सभी सड़कें पक्की हो गईं। पंचायत ने योजनाओं के सहारे हर घर पानी देने की व्यवस्था भी कर दी। इसके अलावा भी कई अन्य विकास के कार्य हुए।
खास बात यह है कि आज भी यहां का हर बच्चा व बड़ा इस गौशाला व इससे हुई गांव की समृद्धि का श्रेय संत रोटीराम महाराज को देता है। वे कहते हैं कि जिस बंजर जमीन पर परिंदा भी पैर नहीं मारता था। आज वहां एक हजार से ज्यादा गायें हैं। चारों ओर हरियाली की चादर बिछी हुई है। प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस गौशाला में आसपास के 60 गांव (मप्र व राजस्थान) से चंदा पहुंचता है।
फिलहाल गौशाला की संपत्ति करीब 50 करोड़ से भी ज्यादा की है। संत रोटीराम महाराज के नाम पर ना सिर्फ गौशाला, बल्कि हासे स्कूल और अब संस्कृत पाठशाला की भी स्थापना हो गई है। इससे गांव अब नए आयाम को छूने जा रहा है। बेहपुर गांव के सरपंच भानुप्रतापसिंह देवड़ा बताते हैं कि कई साल पहले महान संत के चरण इस गांव में पड़े थे।
वे अकेले ही जंगल में चातुर्मास करते और गांव में नहीं आते थे। उनकी प्रसिद्धि फैलती गई और लोग प्रवचन सुनने जुटते गए। लोग उनके लिए भोजन के लिए रोटी लेकर जाते तो उन्होंने खुद का नाम ही रोटीराम रख लिया। संत के पुण्य प्रताप से गांव का वातावरण बदलने लगा। जहां बंजर जमीन थी, आज वहां भव्य गौशाला व आश्रम है। इसी परिसर में हजारों हजार साल पुराना कदम का पेड़ भी है।
मान्यता है कि गोकुल व मथुरा के बाद इस आकृति का पेड़ भी यहीं है। स्थापित आश्रम का नाम भी इसकी कारण कदम आश्रम पड़ गया। इधर, देवड़ा परिवार बाहुल्य इस गांव का सिंधिया राजघराने के समय भी दबदबा रहा। ठाकुर मेहताबसिंह रावले के नाम भी कई कीर्तिमान रहे। मूलतः राजस्थान क्षेत्र के सिरोही के निवासी होने के चलते यहां परिवार में शोक होने पर आज भी सिरोही घराने से ही पगड़ी पहुंचती है।
सभी सुविधाओं से परिपूर्ण बेहपुर गांव ने सर्वसमाज समानता की भी सीख दी।यहां हाल ही में सभी समाज का सामूहिक विवाह हुआ। जिसे समिति अब हर साल आयोजित करने की योजना बना रही है। संत रोटीराम महाराज की तपोस्थली होने तथा कुछ समय पहले निवास कर रहे संत चैतन्यानंद गिरी महाराज की इच्छा अनुसार यहां पर संतश्री रोटीराम महाराज संस्कृत पाठशाला की स्थापना भी इसी वर्ष हुई है।