Mandsaur News: 18 साल बाद शुरू हुई ईएनटी में सर्जरी , कान के पर्दे में छेद और बहरेपन के ऑपरेशन होंगे फ्री
Mandsaur News: मेडिकल कॉलेज की संबद्धता से जिला अस्पताल में सुखद परिणाम सामने आने लगे हैं। यहां 18 साल बाद ईएनटी (कान, नाक व गला) विभाग में सर्जरी शुरू हो गई। शनिवार को ईएनटी विभाग की डॉ. लवी उकावत की टीम ने 16 वर्षीय युवती के कान के पर्दे का सफल ऑपरेशन किया। डॉक्टरों के अनुसार उपकरण मिलने से अब बहरेपन और कान के पर्दे में छेद के ऑपरेशन जिला अस्पताल में ही संभव हो सकेंगे। इससे मरीजों को इलाज के लिए अन्य शहरों में भटकना नहीं पड़ेगा।
जिला अस्पताल में एकमात्र ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. आरके द्विवेदी को टीबी का प्रभार देने व अन्य डॉक्टर को बाहर अटैच करने से ईएनटी मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा था। मई 2024 में मेडिकल कॉलेज की फैकल्टियों ने ज्वॉइन किया। तब ईएनटी विभाग को भी विशेषज्ञ मिले और मरीजों को इलाज मिलना शुरू हो गया। सालभर तक बीमारियों के इलाज के बाद अब विभाग को माइक्रोस्कोप वअन्य उपकरण मिले तो सर्जरी संभव हो सकी। हालांकि कुछ उपकरणों को डॉक्टरों ने अपने स्तर से भी जुटाया। विभाग के अनुसार 17 वर्षीय युवती अपने दाएं कान में बहरेपन और कान बहने की परेशानी से पीड़ित थी। डॉ. लवी उकावत व डॉ. कश्मीरा कुमावत (असि. प्रोफेसर) ने कान के पर्दे का सफल ऑपरेशन किया। इस दौरान एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. डीके पिप्पल व डॉ. पीसी आर्या व स्टाफ ने भी सेवाएं दीं।
छोटे-मोटे उपकरणों की भी दरकार, यह मिले तो और बने बात- उपकरण मिलने में देरी होने से फैकल्टी पूरी तरह सेवाएं नहीं दे पा रही है। ईएनटी के अलावा अन्य ऐसे कई विभाग हैं, जो छोटे मोटे उपकरणों का इंतजार कर रहे हैं। यदि उपकरण की सुविधा भी मिल जाए तो निश्चित ही दायरा बढ़ जाएगा। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि कई उपकरण प्राप्त हो चुके हैं। शेष को लेकर डिमांड भेज चुके हैं। जल्द ही उपकरण प्राप्त होकर मरीजों को लाभ मिलेगा।
ओपीडी में रोज आते हैं ईएनटी के 70 से ज्यादा मरीज
पहले मरीज इलाज के अभाव में भटक रहे थे और अन्य शहरों या निजी अस्पतालों में जाकर आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे थे। बीते सालभर से मरीजों को राहत मिली है। फिलहाल ओपीडी में रोज 70 से ज्यादा मरीज ईएनटी के आ रहे हैं। मानसून सीजन में यह संख्या और बढ़ेगी। डॉ. उकावत का कहना है कि क्षेत्र में कान के पर्दे में छेद व एलर्जी के मरीज अधिक हैं। सर्जरी शुरू होने से मरीजों को राहत मिलेगी। हालांकि अभी पूरी बेहोशी और हड्डी गलने की बीमारी के ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में प्रयास किए जा रहे हैं।