महासागर का रंग हरा होता था जो आजकल नीला है, महासागर का रंग हरा होने के पीछे क्या वजह थी
प्रोफेसर सीवी रमन जो की एक नोबेल पुरस्कार विजेता थे उन्होंने पहली बार बताया था कि महासागर का रंग नीला किस वजह से दिखाई पाड़ता है
मगर हाल ही में आयी एक रिपोर्ट में जो महासागर पर रिसर्च हुयी उसमे जो बात सामने आयी है उसमे आपकी जो महासागर को लेकर धारणा थी वो धरी कि धरी रह जाएगी.
दरअसल, महासागर पर जो रिसर्च हुयी उसमे खुलासा हुआ है कि महासागर हमेशा से नील रंग के नहीं होते थे असल मे वो पहले हरे रंग के हुआ करते थे इस रिसर्च में रंग के साथ साथ उनके क्रमिक विकास के बारे मे भी जानकारी दी गयी है.
नेचर इकोनॉमि एंड इवोल्यूशन नामक एक पुस्तक में भी बताया गया कि महासागर 2.4 अरब साल पहले तक हरे रंग के होते थे इस खोज से यह भी समझने में मदद मिलती है कि प्रारंभिक विकास केसे हुआ था।
महासागर हरे रंग के क्यों होते थे
शोधकर्ताओ के अनुसार शुरुआत के समय में महासागर मे घुले बैक्टीरिया ओर सुक्ष्म जिवो के प्रभाव ने ही महासागर का रंग बना दिए उस समय खनिज और आयरन कि मात्रा भी ज्यादा थी पर जेसे जेसे पर्यावरण में बदलाव आया ऑक्सीजन के स्तर में बढ़ोतरी होने पर महासागर का रंग भी नीला होने लगा।
विज्ञानिको ने रिसर्च के लिये महासागर से प्राचीन चट्टानो और तल छटो को एकत्रित कर के उनमे मौजूद नमुनो से का विश्लेषण कर के पता लगाया जो कि प्रथ्वी पर स्थित महासागर कि स्थिती को दर्शाते है उसमे पता लगाया गया कि उस समय ऑक्सीजन कि कमी थी उसके कारण आयरन और सल्फर जेसे पदार्थ पानी में घुले रहते थे जिस वजह से महासागर का पानी हरा था.
महासागर के रंग का महत्व
इसके लिये शोधकर्ताओ ने बताया कि महासागर का रंग बदलाव प्रथ्वी के विकास को दर्शाता है महासागर का नीला रंग पर्यावरण मे ऑक्सीजन कि मात्रा ओर शैवाल जेसे जिवो के प्रभाव को दर्शाता है यह जानकारी ना केवल प्रथ्वी के बल्की जलवायु बदलाव और महासागर पर्यावरण को भी समझने मे मदद कर्ता है।