MP News: फर्जी लिंक पर पेमेंट करने से पहले मिलेगा अलर्ट, मप्र में साढ़े 3 साल में ऑनलाइन ठगी के 915 और बैंक फ्रॉड के 470 केस हो चुके दर्ज
MP News: प्रदेश में साइबर ठगी लगातार बढ़ती जा रही है। बीते साढ़े तीन साल में ही 915 ऑनलाइन ठगी और 470 बैंक फ्रॉड के केस दर्ज हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले फर्जी लिंक पर क्लिक कर पेमेंट करने के सामने आए। अब सरकार इसे रोकने के लिए नया अलर्ट सिस्टम शुरू करने जा रही है। इसके तहत किसी भी संदिग्ध लिंक या नंबर पर पेमेंट करने से पहले यूजर के मोबाइल पर चेतावनी संदेश आएगा। इससे ठगी के शिकार होने से पहले ही लोग
सतर्क हो सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि यह व्यवस्था सीधे संचार साथी पोर्टल और बैंकों से जुड़ी होगी। लोगों को अलग से कोई ऐप डाउनलोड नहीं करना होगा। यह सुविधा स्वतः पेमेंट ऐप्स और बैंकों से इंटीग्रेट रहेगी। हालांकि, मोबाइल नंबर का आधार और बैंक खाते से सही तरीके से लिंक होना जरूरी होगा। बस जैसे जैसे लोग फ्राड और संदिग्ध लिंक या नंबर की रिपोर्ट संचार साथी पर करते जाएंगे, सिस्टम उसे पहचानकर उतनी तेजी से ज्यादा ज्यादा फ्रॉड को रोकने में कामयाब होगा।
तीन तरीकों से रुकेगी फ्रॉड की संभावना
यूजर को अलर्ट या वॉर्निंग भेजनाः जब मोबाइल नंबर हाई' या 'वेरी हाई जोखिम में पाया जाता है, तो पेमेंट ऐप स्क्रीन पर ही चेतावनी दिखाने लगेंगे।
ट्रांजक्शन डिले (सावधानीपूर्वक रोका जाना): कुछ ऐप्स संदिग्ध नंबर होने पर पेमेंट को थोड़ा रोकते हैं और यूजर से पुष्टि लेते हैं, खासकर 'मीडियम' रिस्क नंबरों के लिए।
संबंधित संस्थाओं को सूचना भेजना: बैक एंड में डेटा एपीआई के माध्यम से बैंक, नेटवर्क ऑपरेटर और साइबर क्राइम एजेंसियों को रियल-टाइम अलर्ट भेजता है जिससे वे आगे कार्रवाई की जा सके।
कैसे काम करेगा ये सिस्टम?
सरकार ने ऑनलाइन ठगी रोकने के लिए एफआरआई यानी फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडीकेटर की सुविधा शुरू की है। यह सीधे संचार साथी पोर्टल से जुड़ा रहेगा। जब कोई नंबर या यूपीआई आईडी फर्जी गतिविधियों में पकड़ी जाती है, तो सिस्टम उसे लो, मीडियम या हाई रिस्क कैटेगरी में डाल देता है। अगर कोई यूजर ऐसे नंबर पर लेन-देन करने की कोशिश करेगा, तो उसके फोन पर पहले ही अलर्ट आ जाएगा। यह अलर्ट पेमेंट ऐप्स, बैंकों और वॉलेट्स के साथ लिंक होकर काम करेगा। खास बात यह है कि यह सिस्टम लगातार रियल टाइम अपडेट होता रहेगा।
इन एप्स पर होगा लागू
यह अलर्ट सिस्टम गूगल पे, फोनपे, पेटीएम समेत सभी प्रमुख यूपीआई आधारित पेमेंट ऐप्स पर लागू होगा। इसके अलावा इंटरनेट बैंकिंग और वॉलेट्स पर भी धीरे-धीरे इसे जोड़ा जाएगा। यह अलर्ट सिस्टम संचार साथी पोर्टल और बैंकों के डेटाबेस से जुड़ा रहेगा। जैसे ही कोई व्यक्ति संदिग्ध नंबर या फर्जी लिंक पर पेमेंट करने की कोशिश करेगा, सिस्टम उसे "हाई रिस्क" कैटेगरी में पहचानकर मोबाइल पर तुरंत चेतावनी संदेश भेजेगा।