सोयाबीन फसल पर येलो मोजेक का संकट, किसानों को पैदावार घटने का डर
Burhanpur News: पिछले सालों में केला फसल पर बार-बार आई प्राकृतिक आपदाओं से किसान पहले ही भारी नुकसान झेल चुके हैं। अब ग्रामीण इलाकों में सोयाबीन की फसल पर येलो मोजेक बीमारी फैलने से उनकी चिंता और बढ़ गई है।
कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र की टीम लगातार गांव-गांव जाकर फसलों का निरीक्षण कर रही है और किसानों को बीमारी से बचाव के उपाय बता रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले दो सप्ताह से मौसम में बार-बार हो रहे बदलाव—कभी तेज धूप तो कभी तेज बारिश—की वजह से सोयाबीन पर येलो मोजेक का असर तेज हुआ है। इस समय फसल पर फलियां आने लगी हैं, लेकिन रोग के कारण उत्पादन घटने की संभावना है।
किन क्षेत्रों में असर
अंबाड़ा क्षेत्र के हिंगना, सारोला, उमरदा, लिंगा, देवरी और नेवरी गांवों में बड़ी संख्या में किसानों ने सोयाबीन बोया है। किसानों का कहना है कि बारिश और रोग के चलते फलियां कम लग रही हैं। कई खेतों में पत्तियां पीली पड़ गई हैं और पौधों की बढ़वार भी रुक गई है।
रोग कैसे फैल रहा
विशेषज्ञों ने बताया कि यह रोग मुख्य रूप से सफेद मक्खी से फैलता है। रुक-रुककर हो रही बारिश इस कीट के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर रही है। मक्खियों के कारण बीमारी तेजी से फैल रही है। प्रभावित पौधों की पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं, जिससे फसल की पैदावार सीधे प्रभावित होती है।
वैज्ञानिकों की सलाह
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि रोग के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर संक्रमित पौधों को खेत से निकालकर अलग फेंक दें, ताकि बीमारी और न फैले। इसके साथ ही नियमित निगरानी करने और आवश्यकता पड़ने पर विभाग से दवाइयों व उपचार संबंधी सलाह लेने की अपील की गई है।
इस रोग का प्रकोप जारी रहा तो किसानों को सोयाबीन से अपेक्षित उपज नहीं मिल पाएगी और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।