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इंदौर में पश्चिमी रिंग रोड का काम 2 महीने बाद होगा शुरू, यह रोड 65 किलोमीटर लंबी बनेगी

 

2028 सिंहस्थ के पहले उज्जैन से जुड़ने वाले आउटर रिंग रोड परियोजना में 50 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि आएगी। इस परियोजना के लिए अनुमति का इंतजार किया जा रहा है। अगले एक महीने में रीजनल इपावरमेंट कमेटी की सहमति मिलने की संभावना जताई जा रही है ।इसके बाद भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण सड़क निर्माण का कार्य शुरू करेगी।
2025 के लास्ट महीने तक पश्चिमी रिंग रोड का निर्माण शुरू किया जाएगा।

इस परियोजना के तहत बनने वाली आउटर रिंगरोड में लगभग 50 हेक्टेयर वनभूमि शामिल होगी, जिसमें करीब सात हजार पेड़ों को काटा जाना है। शुक्रवार को हुई रीजनल इंपावरमेंट कमेटी की बैठक में एनएचएआई अधिकारियों ने वन विभाग की सभी आपत्तियों का समाधान कर दिया है। अब कमेटी की ओर से औपचारिक हरी झंडी मिलना बाकी है। बताया जा रहा है कि अनुमति से संबंधित बिंदुओं को जल्द ही ऑनलाइन किया जाएगा, जिसके बाद एनएचएआई आगे की कार्रवाई शुरू करेगा।

पश्चिमी रिंगरोड की कुल लंबाई 64 किलोमीटर होगी, जिस पर लगभग 1500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यह सड़क 638 हेक्टेयर भूमि से होकर गुजरेगी, जिसमें इंदौर और धार वनमंडल की लगभग 50 हेक्टेयर वनभूमि शामिल है। इंदौर क्षेत्र में 40 हेक्टेयर और धार में आठ से 10 हेक्टेयर वनभूमि चिह्नित की गई है। सड़क का मार्ग मऊ से हातोद होते हुए क्षिप्रा तक जाएगा और यह बेटमा, सांवेर और तराना जैसे क्षेत्रों से होकर गुजरेगा।

पूर्वी रोड का निर्माण डकाच्या से पीथमपुर तक होगा जो लगभग 80 किलोमीटर लंबा होगा इसे दो हिस्सों में बनाया जाएगा ।

यह रोड पीथमपुर,बड़ौगोदा, तइल्लओर, खुड़ैल,कंपेल सहित 38 गांव से होकर जाएगी।

 एन एच ए आई इस परियोजना का सर्वे कर रही है इसे 40 महीने के अंदर यानी 2028 तक पूरा करना होगा।