महिलाओं ने समूह से लिया छोटा ऋण, सिलाई, कंप्यूटर सेंटर और आटा चक्की से बदली जीवन की दिशा
Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले की ग्रामीण महिलाएं आजीविका मिशन से जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। छोटे-छोटे ऋण लेकर उन्होंने न सिर्फ रोजगार शुरू किए बल्कि अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत की।
नयागांव की उमा विश्वकर्मा ने पहले 1000 रुपए का ऋण लेकर सिलाई मशीन खरीदी। काम चलने पर 20 हजार रुपए का बड़ा ऋण लिया और सिलाई दुकान की शुरुआत की। मेहनत और लगन से उन्होंने पूरा ऋण चुका दिया और अब नियमित आय के साथ बचत भी कर रही हैं। कभी आर्थिक तंगी से जूझने वाली उमा आज अपने गांव में एक सक्रिय और सफल महिला के रूप में पहचानी जाती हैं।
खरों गांव की रोहणी देवी अहिरवार ने भी आजीविका मिशन से जुड़कर कंप्यूटर प्रशिक्षण लिया। शुरुआत में 1000 रुपए का ऋण चुकाने के बाद उन्होंने 50 हजार रुपए का ऋण लेकर अपने घर में छोटा सा सीएसी सेंटर शुरू किया। धीरे-धीरे सेंटर की आय बढ़ने लगी और उन्होंने पूरा ऋण चुका दिया।
वहीं, नारगुड़ा खास गांव की रेखा राजा परमार ने पहले 1000 रुपए से दुकान खोली और बाद में 8000 रुपए का समूह ऋण तथा 4000 रुपए की अपनी पूंजी मिलाकर आटा चक्की चालू की। इससे उनके परिवार की आमदनी में सुधार हुआ।
इन सभी महिलाओं की कहानी यह दिखाती है कि यदि सही मार्गदर्शन और छोटे स्तर पर सहयोग मिले, तो महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि अपने परिवारों को भी आर्थिक मजबूती दे सकती हैं।