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बहन ने बॉयफ्रेंड से बात करते पकड़ा तो घर से भागी, तीनों सहेलियां इंदौर और खंडवा में मिलीं

 

Guna News: मधुसूदनगढ़ क्षेत्र से अचानक लापता हुई मीना समाज की तीन लड़कियों को पुलिस ने करीब एक महीने की मशक्कत के बाद इंदौर और खंडवा से बरामद कर लिया। लड़कियों के गायब होने पर लोगों ने जोरदार विरोध किया था और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था। मामला बढ़ा तो एसपी ने एक विशेष टीम बनाई और कई जिलों में लगातार दबिश दी गई।

ऐसे हुई शुरुआत

20 जुलाई को तीनों युवतियां घर से अचानक निकल गईं। इनमें एक 20 वर्षीय और दो 21 वर्षीय थीं। उसी दिन सोनखेडी गांव का युवक संदीप सौंधिया भी लापता हुआ। जांच में पता चला कि संदीप की एक लड़की से काफी समय से बातचीत थी। घर में जब बड़ी बहन ने उसे संदीप से बात करते देख लिया तो विवाद हुआ और वह संदीप के साथ भाग गई। इसके बाद उसकी दो सहेलियां भी साथ चल दीं। दोनों के अन्य मित्रों ने साथ जाने से मना किया था।

बिना मोबाइल और सोशल मीडिया

भागने के बाद संदीप और तीनों लड़कियों ने यह तय किया कि मोबाइल या सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेंगे ताकि पुलिस तक कोई सुराग न पहुंचे। इसी कारण वे लगातार पुलिस की पकड़ से बचते रहे और चार अलग-अलग शहरों में घूमते रहे।

पुलिस की तलाश और सीसीटीवी सुराग

पुलिस ने रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और टोल नाकों के कैमरे खंगाले। एक फुटेज में संदीप तीनों लड़कियों को मोटरसाइकिल पर ले जाते हुए दिखाई दिया। इसके बाद पुलिस ने शाजापुर, सारंगपुर, उज्जैन, इंदौर और अन्य जिलों में दबिश दी।

इंदौर में संदीप का एक दोस्त आशीष मीना रहता था। जब पुलिस को सूचना मिली कि लड़कियां वहां आ सकती हैं तो टीम तुरंत पहुंची और दो लड़कियों को पकड़ लिया। तीसरी लड़की खंडवा में मिली।

खजराना मंदिर और शादी का प्रयास

इंदौर में रहते हुए यह लोग खजराना मंदिर भी दर्शन करने पहुंचे थे। वहीं सीसीटीवी में भी उनकी मौजूदगी दिखी। दूसरी ओर, उज्जैन में संदीप और एक लड़की शादी करने के लिए एक वकील के पास गए। लेकिन खर्च 20 हजार रुपए बताने पर उन्होंने मना कर दिया और शपथ पत्र का विकल्प चुना। कुछ दिनों बाद थाने में तीन शपथ पत्र पहुंचे जिनमें शादी और स्वतंत्र जीवन जीने की इच्छा का उल्लेख था।

सूरत तक का सफर

इंदौर में दोस्त आशीष ने पनाह देने से मना किया तो ये चारों उज्जैन पहुंचे। वहां किराए से कमरा लिया लेकिन तीन दिन में ही ओमकारेश्वर और फिर खंडवा चले गए। इसके बाद उन्हें लगा कि प्रदेश में रहना सुरक्षित नहीं है, तो सूरत तक पहुंच गए। वहां नौकरी और कमरा तलाशने पर पुलिस वेरिफिकेशन की मांग हुई। मजबूरी में वे फिर खंडवा लौट आए।

खंडवा में काम और ठिकाना

ट्रेन में यात्रा के दौरान इन्हें सोनू नाम का युवक मिला। एक लड़की ने उसे भाई बना लिया। सोनू ने उन्हें कीपैड मोबाइल दिया और खंडवा में किराए का कमरा दिलाया। यहां संदीप एक होटल में 400 रुपए प्रतिदिन पर वेटर बना और दोनों लड़कियों को 600 रुपए प्रतिदिन रोटी बेलने का काम मिला।

पुलिस की रणनीति और गिरफ्तारी

करीब एक महीने तक भागते रहने के बाद संदीप को चिंता हुई कि घरवाले परेशान होंगे। उसने आशीष से मिलने की योजना बनाई। लेकिन पुलिस पहले ही इंदौर में सक्रिय थी। खंडवा से बुर्का पहनकर आईं दोनों लड़कियों को आशीष के घर के पास ही राउंडअप कर लिया गया। बाद में तीसरी लड़की भी पकड़ ली गई।

लड़कियों का बयान

एसडीएम के सामने तीनों लड़कियों ने बयान दिया कि वे अपनी मर्जी से गई थीं और स्वतंत्र रहना चाहती हैं। फिलहाल उन्हें वन स्टॉप सेंटर भेजा गया है। पुलिस ने बताया कि पूरे मामले में जांच जारी है और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।