उफनती नदी पार करने के लिए ग्रामीण मजबूर, पुलिया का इंतजार वर्षों से अधर में
Shivpuri News: बदरवास विकासखंड के गोरा गांव में बारिश के मौसम में ग्रामीणों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। सिंध नदी के उफान पर आ जाने के कारण गाँव के लोग अपने घरों से बाहर निकलने में असमर्थ हो जाते हैं। राशन, पानी और अन्य जरूरी कामों के लिए उन्हें नदी पार करना पड़ता है, लेकिन पुलिया न बनने के कारण ग्रामीण ट्यूब के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं। लगभग 100 परिवार इस जोखिम भरे रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें उनकी जान हमेशा खतरे में रहती है।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार बरसात के दौरान बीमार व्यक्ति को भी इलाज के लिए ट्यूब पर बैठाकर नदी पार करना पड़ता है। हाल ही में एक महिला की तबीयत बिगड़ जाने पर ग्रामीणों ने उसे ट्यूब के सहारे कोलारस अस्पताल पहुंचाया। इससे साबित होता है कि ग्रामीणों के पास वैकल्पिक सुरक्षित मार्ग का अभाव है।
ग्राम पंचायत टीलाकलां के गोरा गांव में सड़क मार्ग भी कच्चा है और घने जंगल से होकर गुजरता है। ऐसे में ग्रामीण इस मार्ग का प्रयोग नहीं कर सकते। वर्षों से पुलिया न बनने के कारण ग्रामीण जोखिम उठाकर नदी पार करने को मजबूर हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा अभी तक इस समस्या पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों ने कई बार पुलिया निर्माण की मांग की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में उनके गांव के 80 परिवार मुख्य मार्ग से कट जाते हैं। इस कारण रोजमर्रा के कामों में गंभीर परेशानी आती है। ट्यूब के सहारे नदी पार करने से दुर्घटना का खतरा बना रहता है। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से नदी पार करने वालों के लिए कोई सुरक्षा या सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है।
एसडीएम कोलारस ने इस मामले पर कहा कि समस्या की जानकारी मिली है और आवश्यकतानुसार वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार किया जाएगा। हालांकि अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को उनके जीवन और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिया निर्माण या सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करना चाहिए।
इस तरह, गोरा गांव के निवासी बरसात के मौसम में अपने दैनिक कार्यों और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए उफनती नदी पार करने को मजबूर हैं। पुलिया निर्माण का इंतजार वर्षों से अधर में लटका है। सुरक्षित आवागमन की सुविधा न होने के कारण ग्रामीण जोखिम उठाने को मजबूर हैं और प्रशासन से तत्काल समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।