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मध्य प्रदेश में सड़क बनाने के लिए पेड़ों को नहीं काटा जाएगा

मध्य प्रदेश में सड़क बनाने के लिए पेड़ों को नहीं काटा जाएगा
 

सड़क बनाने के दौरान पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी बल्कि अब उन्हें स्थानांतरित किया जाएगा। राज्य में अधोसंरचना विकास को अधिक सक्षम, पारदर्शी और पर्यावरण हितैषी बनाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई नई शेड्यूल आफ रेट्स यानी दर सूची जारी कर दी है, इसमें इसके बजट प्रविधान किए गए हैं। प्रदेश की जलवायु, पर्यावरणीय परिस्थितियों और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यह दर सूची तैयार की गई हैं। पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए पेड़ को स्थानांतरित करने की दर भी निर्धारित की गई हैं। साथ ही, स्थानांतरित किए गए हर पेड़ की तीन से पांच वर्ष तक निगरानी की जाएगी, ताकि हरियाली को बनाए रखा जा सके। नई दर सूची में पहले के 309 की तुलना में 817 से अधिक नए कार्य शामिल किए गए हैं। इनमें पेड़ों की शिफ्टिंग भी है।


25-35 हजार रुपये आएगा पेड़ की शिफ्टिंग का खर्चः पेड़ की शिफ्टिंग व तीन साल तक देखरेख के लिए 25 हजार रुपये व पांच साल तक के लिए 35 हजार रुपये दर तय की गई है। सड़क निर्माण के टेंडर में ही इसका प्रविधान किया जाएगा।


पीपल व बरगद जैसे पेड़ होंगे स्थानांतरित

पेड़ों के आकार के हिसाब से उनकी शिफ्टिंग की जाएगी। इसमें केवल फलदार वृक्ष या पीपल, बरगद, नीम, अशोक, गुलमोहर, अमलतास जैसे वृक्षों को ही शामिल किया जाएगा। एक मीटर व्यास वाले या इससे अधिक मोटे पेड़ों को स्थानांतरित किया जाएगा। पेड़ शिफ्ट करने जड़ों को सुरक्षित रखते हुए उसके चारों तरफ से खोदाई करनी होगी, उसके बाद उन्हें डेमकान प्री-प्लांटेशन मशीन से शिफ्ट किया जाएगा। इस दौरान पेड की छंटाई भी की जाती है।

सडक निर्माण में में अब पेड़ों की शिफ्टिंग की जिम्मेदारी निर्माण कंपनी की होगी। दर सूची केवल एक तकनीकी दस्तावेज नहीं, बल्कि यह विजन-2047 की दिशा में विभाग के सुनियोजित प्रयासों का प्रतीक है। विभाग का लक्ष्य है कि प्रदेश की हर सड़क और हर पुल न केवल टिकाऊ और सुरक्षित हो, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी मजबूती से प्रतिबिंबित करे