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Damoh news: अब तक 58 हजार में सिर्फ 22 हजार बुजुर्गों के बने आयुष्मान कार्ड 

अभी भी 2 लाख 58 हजार 192 लोग इस योजना से वंचित हैं। इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले की लापरवाही सामने आ रही है। तेंदूखेड़ा व जबेरा के आदिवासी अंचलों में नाममात्र के आयुष्मान कार्ड बने हैं। हालांकि विभाग द्वारा कई लोगों के केवायसी न होना, मिच मैच होना, समग्री आईडी न खुलना एवं पलायन करने का कारण भी सामने आ रहा है।
 

Damoh news: वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पिछले छह माह से आयुष्मान कार्ड बनाने की प्रक्रिया चल रही है। दमोह जिले में 58543 वरिष्ठ नागरिकों के कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य है, लेकिन अब तक केवल 38.53% अर्थात 22588 बुजुर्गों के आयुष्मान कार्ड बन पाए हैं। आंकड़ों से स्पष्ट है कि अब तक 35985 बुजुर्गों के आयुष्मान कार्ड नहीं बने हैं। जिससे वह योजना का लाभलेने से वंचित हैं। जिससे इन लोगों को कर्जा लेकर या फिर रिश्तेदारों से पैसों का इंतजाम कर इलाज करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि घर बैठे आयुष्मान कार्ड बनाने की सुविधा शुरू की है लेकिन मैदानी अमला लोगों के घर ही नहीं पहुंच पा रहा है। जिससे जिले में आयुष्मान कार्ड की स्थिति चिंताजनक बनी है। इधर जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इधर भी 25 प्रतिशत कार्ड नहीं बने जिले में आयुष्मान भारत निरामय योजना के तहत 10 लाख 5 हजार आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य दिया गया है। यह कार्य कई वर्षों से चल रहा है, लेकिन दमोह जिले में अब तक 7 लाख 47 हजार आयुष्मान कार्ड ही बन पाए हैं।

अभी भी 2 लाख 58 हजार 192 लोग इस योजना से वंचित हैं। इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले की लापरवाही सामने आ रही है। तेंदूखेड़ा व जबेरा के आदिवासी अंचलों में नाममात्र के आयुष्मान कार्ड बने हैं। हालांकि विभाग द्वारा कई लोगों के केवायसी न होना, मिच मैच होना, समग्री आईडी न खुलना एवं पलायन करने का कारण भी सामने आ रहा है।

अब तक 76 हजार लोगों मिल चुका लाभ दमोह जिले में आयुष्मान कार्ड योजना के तहत अब तक 76 हजार लोगों को लाभ मिल चुक हैं।

इन लोगों द्वारा विभिन्न बीमारियों के लिए शासन द्वारा तय किए अस्पतालों में जाकर इलाज कराया है। जिसमें प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर के अस्पतालों में भी इलाज किया है। इन लोगों पर 126 करोड़ रुपए की राशि शासन द्वारा संबंधित अस्पतालों को जारी की है। जबेरा ब्लॉक के पड़री निवासी रामू आदिवासी ने बताया कि उनके आधार कार्ड में नाम मिसमेच है, जिसकी वजह से आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया है। इसी तरह हल्लीबाई आदिवासी ने बताया कि फिंगर न आने की वजह से आधार कार्ड अपडेट नहीं हो पा रहा है। जिससे आयुष्मान कार्ड भी नहीं बना। 

आयुष्मान कार्ड के फायदे बताए जा रहे

आशा कार्यकर्ता, हेल्थ वर्कर व अन्य मैदानी अमला घरों में जाकर लोगों को आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए समझाइश देते हैं। साथ ही उन्हें कार्ड बनवाने के फायदे भी बताए जा रहे हैं। लेकिन किसी के फिंगर प्रिंट, किसी की केवायसी अपडेट न होने सहित अन्य समस्याएं आ रहीं हैं। हालांकि धीरे-धीरे आंकड़ा बढ़ रहा है। -डॉ. राजेश नामदेव, नोडल अधिकारी