टीकमगढ़ का ट्रेचिंग ग्राउंड बना कबाड़खाना, 20 लाख की मशीनें 3 साल से बंद, बिजली कनेक्शन का इंतजार
Tikamgarh News: टीकमगढ़ नगर पालिका की सफाई व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। डोंगा स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड पर करोड़ों की योजनाओं के बावजूद हालात ऐसे हैं कि 20 लाख रुपये की ट्रोमिल, श्रेडर और वेट मशीन पिछले तीन साल से बंद पड़ी हैं। वजह सिर्फ इतनी है कि यहाँ अब तक बिजली कनेक्शन ही नहीं लिया जा सका।
मशीनों पर झाड़ियां, कचरे का पहाड़
ट्रेचिंग ग्राउंड का हाल देखकर साफ समझा जा सकता है कि यहाँ कामकाज लंबे समय से ठप पड़ा है। मशीनों के चारों ओर झाड़ियां उग आई हैं और परिसर में कचरे के ढेर लगे हैं। वैज्ञानिक तरीके से कचरा निपटान न होने के कारण यह जगह गंदगी का अड्डा बन गई है। आसपास के किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि बदबू और मच्छरों की भरमार से खेतों में काम करना मुश्किल हो गया है।
अधूरा प्लांट और बेकार हुई व्यवस्था
यहाँ बना फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट भी पूरी तरह से बंद है। मुख्य द्वार पर उगी झाड़ियां ही बता देती हैं कि प्लांट कितने समय से ठप पड़ा हुआ है। यह प्लांट शौचालयों और सेप्टिक टैंकों से निकलने वाले अपशिष्ट के निस्तारण के लिए बनाया गया था, लेकिन उपयोग न होने से यह भी कबाड़ बन गया है। श्रेडर मशीन, जो कचरे को छोटे टुकड़ों में काटकर आगे प्रक्रिया करती है, वह भी लंबे समय से चालू नहीं हुई।
टेंडर जारी, फिर भी कनेक्शन अधूरा
पड़ताल में सामने आया कि तीन साल पहले ही बिजली कनेक्शन के लिए टेंडर जारी कर दिया गया था। बावजूद इसके आज तक कनेक्शन नहीं मिला। नतीजा यह हुआ कि लाखों की मशीनें धूल खा रही हैं और नगर का कचरा खुले में ढेर लगाकर फेंका जा रहा है।
मेन्युअली कचरा छंटाई
नगर पालिका का दावा है कि व्यवस्था पूरी तरह बंद नहीं है। यहाँ 12 सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर कचरे की मैन्युअल छंटाई करवाई जा रही है। अस्थायी कनेक्शन से एक मशीन चलाने की बात भी कही गई है। लेकिन ग्राउंड पर पहुँचने वाले लोग बताते हैं कि यह काम नाकाफी है और सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है।
स्वच्छ सर्वेक्षण पर उठ रहे सवाल
साल 2024 में टीकमगढ़ को स्वच्छ सर्वेक्षण में 83वाँ स्थान मिला था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 59% कचरे का पृथक्करण और 48% डंप साइट ट्रीटमेंट हुआ है। लेकिन जब मशीनें ही नहीं चलीं, तो इतने प्रतिशत काम कैसे पूरे हुए? यह सवाल अब नगर पालिका की कार्यशैली और सर्वेक्षण की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
आग लगाकर छुपाने की कोशिश
ग्रामीणों का आरोप है कि साफ मौसम में कई बार नगर पालिका कर्मचारी कचरे में आग लगा देते हैं ताकि ढेर कम दिखाई दें। लेकिन बरसात में यह तरीका भी नाकाम हो गया और ट्रेचिंग ग्राउंड की असल तस्वीर सबके सामने आ गई।
वाहन और कलेक्शन व्यवस्था भी कमजोर
शहर के 27 वार्डों में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए केवल 16 वाहन और 8 ट्रैक्टर हैं। ये भी अधिकतर वार्डों तक नियमित नहीं पहुँचते। इतना ही नहीं, अभी तक गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग इकट्ठा करने की व्यवस्था भी नहीं की गई है।
शौचालयों की साफ-सफाई अधूरी
सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। स्वच्छ सर्वेक्षण में टीकमगढ़ को इस बिंदु पर केवल 50 प्रतिशत अंक मिले थे। करीब डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी इनकी सफाई और संचालन को लेकर कोई ठोस योजना सामने नहीं आई है।
सुधार का दावा
नगर पालिका सीएमओ का कहना है कि अगले सर्वेक्षण से पहले सुधार कार्य पूरे किए जाएंगे। कचरा पृथक्करण, डंप साइट ट्रीटमेंट और शौचालयों की सफाई के लिए नए टेंडर बुलाए गए हैं। साथ ही बिजली कनेक्शन दिलाने के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है।