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मध्यप्रदेश में तीन हजार परिवारों को नहीं मिली नागरिकता ,जाने इसके पीछे क्या वजह 

मध्यप्रदेश में इस समय तीन हजार पाकिस्तानी परिवार रह रहे हैं, लेकिन आज तक इनको भारत की नागरिकता नहीं मिली है। आज भी इन लोगों का स्थायी पता सिंध प्रांत है
 

मध्यप्रदेश में इस समय तीन हजार पाकिस्तानी परिवार रह रहे हैं, लेकिन आज तक इनको भारत की नागरिकता नहीं मिली है। आज भी इन लोगों का स्थायी पता सिंध प्रांत है। ऐसे में भोपाल के ईदगाह हिल्स, संत हिरदाराम नगर और टीला जमालपुरा में 500 से अ​धिक सिंधी सिख समुदाय के लोग लाॅन्ग टर्म वीजा पर अस्थायी तौर पर रह रहे हैं। यह लोग यहां रह तो रहे हैं लेकिन आज तक इनका पता पाकिस्तान का सिंध प्रांत ही दिखाया जा रहा है। जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था तब पाकिस्तान से मध्यप्रदेश में सैकड़ों सिंधी परिवारों के लाेग यहां आए थे। आज तक इन परिवारों को भारत की नागरिकता नहीं मिली है। यह लोग अपनी स्थायी नागरिकता के लिए जिला कलेक्टर ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन आज तक इनको सफलता नहीं मिली है। 


भोपाल व इंदौर में संख्या ज्यादा


पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष मधु चंदवानी ने बताया कि मध्यप्रदेश में लगभग तीन हजार सिंधी परिवार रहते हैं। इनकी नागरिकता का मामला अभी तक लंबित चल रहा है। इनमें सबसे अ​धिक संख्या भोपाल और इंदौर में है। यह लोग नागरिकता की आस रखने वालों में शामिल हैं। यह संख्या तब है, जब केंद्र सरकार ने भोपाल और इंदौर कलेक्टर को सिं​धियों को नागरिकता देने का अ​धिकार दिया है। यदि यह अ​धिकार कलेक्टर के पास नहीं होता तो, इनकी संख्या और अ​धिक होती।

 
नहीं मिल रहा कोई स्पष्ट जवाब


पूज्य सिंधी पंचायत के महासचिव नंद ददलानी ने बताया कि नागरिकता संबंधी मामलों में लगातार देरी हो रही है। वह बार-बार कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काटते हैं, लेकिन उनको कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है। इसमें देरी के कारण उनकी नागरिकता का मामला लगातार लंबा होता जा रहा है। यह लोग नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे हैं। 


नागरिकता संशोधन अ​धिनियम के बाद भी नहीं कार्रवाई


केंद्र सरकार ने 2019 में नागरिकता संशोधन अ​धिनियम लागू किया था। सीएए के लागू होने से इन लोगों को उम्मीद थी कि उनको जल्द नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन आज तक उनके मामलों में तेजी नहीं आई है। विदिशा के बासौदा के 65 वर्षीय नानिकराम माधवानी 35 साल से नागरिकता प्राप्त करने के लिए जदोजहद कर रहे हैं। वहीं सीएए के नियमों के अनुसार जो लोग सात साल से भारत में रह रहे हैं, वह भारत की नागरिकता के हकदार हैं।


हर साल दिया जाता है शपथपत्र


इन सिंधी परिवारों को भारतीय नागरिकता देने के लिए गुजरात, राजस्थान व मध्य प्रदेश सरकार को 2016 में अ​धिकार दिए थे। इसके बावजूद 1997-98 से 2016 तक 118 मामले आज भी लंबित हैं। इन परिवारों को दो वर्ष बाद पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपना शपथ पत्र देना पड़ता है। भगवान देव इसरानी ने कहा कि नागरिकता कानून में संशोधन के बावजूद प्रशासन का ढुलमुल रवैया है, जिसके कारण उनको नागरिकता नहीं मिल रही है।