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तेज बारिश से बेतवा उद्गम स्थल पर फिर बहने लगी पतली धार, NGT ने शुरू की सख्त निगरानी

 

Chhatarpur News: पिछले कुछ दिनों से हो रही तेज बारिश के कारण रायसेन जिले के झिरी गांव में बेतवा नदी के उद्गम स्थल पर 31 जुलाई से पतली धार निकलने लगी है। हालांकि यह बहाव अस्थायी है और मौसम बदलते ही यह फिर से सूख सकता है, जैसा पिछले दो सालों में हुआ है। करीब डेढ़ साल पहले यह उद्गम स्थल पूरी तरह सूख गया था।

प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए कोई अलग बजट या नीति नहीं है। नर्मदा घाटी विकास विभाग केवल नर्मदा के लिए काम करता है और जल संसाधन विभाग की योजनाएं सीधे तौर पर नदी संरक्षण से नहीं जुड़ीं। ऐसे में बेतवा जैसी नदियों को बचाने के प्रयास टुकड़ों में और सीमित साधनों पर ही निर्भर हैं।

अब इस मामले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने स्वतः संज्ञान लिया है और केस को सेंट्रल जोन बेंच, भोपाल में भेजकर सितंबर से सुनवाई तय की है। NGT ने राज्य के पर्यावरण, जल संसाधन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और रायसेन कलेक्टर को नोटिस जारी किया है। साथ ही एक संयुक्त समिति भी बनाई गई है जो स्थल निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देगी।

बेतवा के सूखने के पीछे कई मानवीय कारण हैं—उद्गम स्थल पर सीमेंट-कंक्रीट निर्माण से पानी का रिसाव रुक गया, पाइपों से जबरन पानी निकाला गया, और जंगल व पेड़ काट दिए गए। इससे जलस्तर गिरता गया और नदी सूखती चली गई।

अब तक स्मारक बोर्ड, डस्टबिन, शौचालय और पौधारोपण जैसे काम किए गए हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार कैचमेंट ट्रीटमेंट, रिचार्ज सिस्टम और गहरे जड़ वाले पेड़ लगाने जैसे वैज्ञानिक उपाय जरूरी हैं।

बेतवा नदी मध्यप्रदेश में 380 किमी तक बहती है और विदिशा, अशोकनगर, ओरछा जैसे ऐतिहासिक शहरों से गुजरती है। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यह यमुना से मिलती है।

राजस्थान की अरवर नदी को लोगों ने मिलकर फिर से जिंदा किया था। उसी तरह की सामूहिक जिम्मेदारी और लगातार प्रयास से ही बेतवा को भी बचाया जा सकता है।