बारिश के कारण बुवाई में हुई भारी कमी, पिछले साल की तुलना में आधी भी नहीं हो सकी बुवाई
Chhatarpur News: जून के अंत से लगातार हो रही बारिश के कारण इस बार किसान बुवाई में भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। पहले जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह तक बुवाई पूरी हो जाती थी, लेकिन अब खेतों में पानी भर जाने के कारण बुवाई में देरी हो रही है। यदि मौसम खुल भी जाए, तो अगले चार-पांच दिनों तक बुवाई संभव नहीं होगी।
पिछले साल की तुलना में इस बार बुवाई आधी से भी कम हुई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल धान 150 हेक्टेयर में बोई गई थी, जबकि इस बार यह सिर्फ 75 हेक्टेयर में हो पाई है। ज्वार 90 हेक्टेयर की जगह 50 हेक्टेयर में, मक्का 331 हेक्टेयर की जगह 150 हेक्टेयर में और कोदो-कुटकी 10 हेक्टेयर की जगह सिर्फ 4 हेक्टेयर में बोई गई है।
दलहन की फसलों में भी गिरावट आई है। अरहर की बुवाई पिछले साल 2100 हेक्टेयर में हुई थी, जबकि इस बार सिर्फ 1500 हेक्टेयर में हो सकी है। उड़द 6600 हेक्टेयर की जगह 3500 हेक्टेयर में, मूंग 400 हेक्टेयर की जगह 200 हेक्टेयर में बोई गई है। कुल खाद्यान्न की बुवाई पिछले साल 9100 हेक्टेयर में हुई थी, जबकि इस बार यह मात्र 5200 हेक्टेयर में ही हो पाई है।
तिलहन में भी कमी आई है। पिछले साल तिलहन की बुवाई 31,000 हेक्टेयर में हुई थी, जबकि इस बार अब तक केवल 16,000 हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है। सोयाबीन की बुवाई पिछले साल की तरह ही हुई है, लेकिन तिल की बुवाई 4900 हेक्टेयर की जगह केवल 1150 हेक्टेयर में हो पाई है। मूंगफली की बुवाई 10,000 हेक्टेयर की जगह केवल 2500 हेक्टेयर में हो सकी है।
किसान बाबू पटेल ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के कारण समय पर बुवाई नहीं हो पा रही है। यदि अगले 7 से 10 दिन में बुवाई नहीं हो पाई, तो फसल पर असर पड़ सकता है। कृषि विभाग के एसएडीओ एसके कुशवाहा ने कहा कि मौसम साफ होते ही किसान बीज उपचार कर बुवाई कर सकते हैं। इसके साथ ही फसल की देखभाल और रोग नियंत्रण से अच्छी पैदावार की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार की योजना के तहत किसानों को अनुदान पर उन्नत बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनमें मूंगफली, उड़द, तिल और मूंग जैसी फसलों के बीज शामिल हैं।