Chhatarpur News: क्रिकेट के लिए शहर में मैदान नहीं
Chhatarpur News: शहर का बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम टर्फ बिछने के बाद फुटबॉल और एथलेटिक्स के लिए आरक्षित कर दिया है। अब शहर में क्रिकेट के लिए कोई क्रिकेट मैदान में नहीं है। वहीं राजनगर रोड पर पलौठा में 80 लाख रुपए से बना स्टेडियम अनुपयोगी पड़ा है। इसमें मवेशी चरते हैं, रात को असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है। पलौठा स्टेडियम के जैसे जिले में 5 स्टेडियम बनाए हैं। इनमें चार स्टेडियम अनुपयोगी पड़े हैं, सिर्फ मुंगवारी स्टेडियम का उपयोग खेल गतिविधियों के लिए हो रहा है। इसका उपयोग चौपरिया सरकार क्रिकेट क्लब अपनी खेल गतिविधियों के लिए कर रहा है।
छतरपुर शहर में दो ही स्टेडियम हैं जिनमें पवेलियन हैं। शहर की खेल गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम अब एथलेटिक्स और फुटबॉल के लिए आरक्षित है। यह स्टेडियम महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की संपत्ति है। दूसरा पलीठा स्टेडियम 6 सालों से अनुपयोगी पड़ा है। 80-80 लाख रुपए लागत के इन स्टेडियम का निर्माण ग्रामीण विकास विभाग ने कराया है।
हर विधानसभा क्षेत्र में ऐसे स्टेडियम बनाए हैं। छतरपुर विधानसभा का स्टेडियम पलौठा मौजा की जमीन पर बना है। शहर से लगा है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के पास शहर में एक भी स्टेडियम नहीं है। इसके बावजूद विभाग क्रिकेट और अन्य खेलों के लिए पलौठा स्टेडियम का उपयोग नहीं कर रहा है। शहर के सीनियर क्रिकेट खिलाड़ी राहुल पित्रे और संदीप चौरसिया का कहना है कि शहर में क्रिकेट को कोई ग्राउंड नहीं होने का खामियाजा खिलाड़ियों को भुगतना पड़ा रहा है। जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में काम करना चाहिए।
गौरिहार, कुकरेल और महुआझाला के स्टेडियम भी अनुपयोगी पड़े
चंदला विधानसभा के तहत गौरिहार में स्टेडियम बनाया गया है। गौरिहार स्टेडियम में भी कभी खेल गतिविधियों का आयोजन नहीं किया जा रहा है। यह स्टेडियम भी अनुपयोगी पड़ा है। हालांकि मई 2025 में मुख्यमंत्री की सभा के लिए इस स्टेडियम का साफ किया गया था। पर अब हालात जस की तस है। मैदान में गड्ढे हो गए हैं। महाराजपुर विधानसभा के कुकरेल गांव में बने स्टेडियम भी झाडियां हैं। इसकी कभी सफाई भी नहीं हुई है। यही हाल बिजावर विधानसभा के तहत महुआझाला गांव में बनाए गए खेल मैदान की है।
मुंगवारी स्टेडियम का रखरखाव क्लब कर रहा, प्रशासन का सहयोग नहीं
बड़ामलहरा विधानसभा के तहत मुंगवारी गांव में स्टेडियम बनाया है। इस स्टेडियम के संरक्षण पर भी प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। ग्राम पंचायत का चौपरिया सरकार क्रिकेट क्लब स्टेडियम का उपयोग अपनी खेल गतिविधियों के लिए कर रहा है। क्लब के कैप्टन रजऊ राजा का कहना है कि वे हर साल स्टेडियम में क्रिकेट टूनमिंट का भी आयोजन करते हैं। पिच और पवेलियन का रखरखाव करते हैं। इसमें उन्हें प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिलता है। वे जनता और क्षेत्रीय नेताओं के सहयोग से ही खेल गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं।
हैंडओवर की प्रक्रिया भोपाल से होनी है, जिलास्तर पर नहीं
यह बात सही है कि विभाग के पास छतरपुर शहर में एक भी स्टेडियम नहीं है। छतरपुर का पलौठा स्टेडियम पूरे प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र में बनाए गए स्टेडियम के साथ बनाया था। इनके हैंडओवर की प्रक्रिया भोपाल स्तर से होनी है। इसलिए खेल विभाग के पास जिला स्तर पर स्टेडियम न होने के बाद भी हैंडओवर नहीं ले सकता है। - राजेंद्र कोष्टा, बिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी छतरपुर