मप्र के इस छोटे से गांव में हैं 250 सैनिक और पूर्व सैनिक के साथ 1 नेवल, तीन हो चुके हैं शहीद
MP News: मध्य प्रदेश राज्य में चंबल नदी से महज 1.5 मील की दूरी स्थित 5,700 की आबादी वाला रुअर गांव अपने इतिहास, वीरता, आस्था और मेहनतकश लोगों के लिए पूरे क्षेत्र में खास पहचान रखता है। रुअर गांव धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी संपत्र है। यहां पांच प्रमुख मंदिर हैं, जो न सिर्फ पूजा-अर्चना का स्थान हैं, बल्कि गांव की एकता और संस्कृति के प्रतीक हैं। रुअर की पटिया गांव के मध्य ऊंचाई पर 6 फीट लंबी शिला है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना पूर्ण होती है। पुराने समय में गांव के विवाद यहीं सुलझाए जाते थे। मान्यता है इस जगह पर आज तक किसी ने झूठी कसम नहीं खाई अगर खाई तो उसे परिणाम भुगतना होता है यही वजह है कि अब धीरे-धीरे यहां लोगों ने कसम खाना या विवादों को निपटाना बंद कर दिया है। चरणावती एवं चामड़ माता मंदिर आदि शक्तियों के ये मंदिर पूरे गांव की आस्था का आधार हैं। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता की आराधना के लिए जुटते हैं।
रुअर गांव में है कुल 5700 की आबादी
मध्य प्रदेश राज्य के रुअर गांव में कुल 5700 की आबादी है। इस गांव की साक्षरता दर 64% है। रुअर गांव जिला मुख्यालय से 44 किमी की दूरी पर स्थित है। जिला मुख्यालय से इस गांव की कनेक्टिविटी सड़क मार्ग से होती है। रुअर में भटागर पहाड़ी पर जंगल की ऊंची चोटी है, जहां प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। यहां के बारे में कई ऐतिहासिक और लोककथाएं प्रचलित हैं। नीलेश्वर महादेव मंदिर गांव के प्रवेश द्वार पर स्थित है। यह मंदिर सभी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का मुख्य केंद्र है। बाबू महाराज मंदिर गांव के बीचो-बीच स्थित है। यह मंदिर सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख स्थल है।
वीरों की धरती रुअर गांव ने देश की रक्षा के लिए दिए हैं कई लाल
वीरों की धरती रुअर गांव ने देश की रक्षा के लिए कई लाल दिए हैं। 1965 के भारत-पाक युद्ध में मातादीन सिंह तोमर ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। हाल ही में 11 जनवरी 2023 को, सियाचिन ग्लेशियर में 52°C तापमान और 18,300 फीट ऊंचाई पर राष्ट्रीय संपत्ति और 16 साथियों की जान बचाने वाले अमर शहीद वीर विवेक सिंह तोमर ने अपने प्राण न्यौछावर किए। उनके इस अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। गांव में 250 सैनिक और पूर्व सैनिक हैं। जिनमें 1 नेवल ऑफिसर और 3 शहीद शामिल हैं।
तकरीबन 100 के लगभग शिक्षक और शिक्षिकाएं भी हैं रुअर गांव में
रुअर गांव सैनिकों के साथ-साथ शिक्षकों के मामले में भी पीछे नहीं है। इस गांव में करीब 100 शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं, जो देश का भविष्य छोड़ने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा इस गांव में 50 अधिकारी और कर्मचारी विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत या सेवानिवृत्त हैं। 100 व्यापारी गांव की आर्थिक धारा को मजबूत करते हैं। शेष लोग खेती-किसानी में संलग्न हैं। ग्रामीण चाहते हैं कि यहां की पर्याप्त सरकारी जमीन पर खेल और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं। गांव में फिलहाल केवल मिडिल स्कूल है, लेकिन योजना है कि यहां हायर सेकंडरी स्कूल और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र खुले, जिससे युवाओं को बेहतर पढ़ाई और रोजगार के अवसर मिलें। यह गांव सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि आने वाले कल की प्रेरणा है।