Movie prime

मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ, जिस वर्ग में भर्ती उसी में पदोन्नति

मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ, जिस वर्ग में भर्ती उसी में पदोन्नति
 

 पिछले नौ साल से मध्यप्रदेश में अटकी पदोन्नति का रास्ता अब साफ हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उच्च स्तरीय बैठक में जिस प्रस्तावित फॉर्मूले पर सैद्धांतिक सहमति दी है, उसके बाद प्रदेश में 2.03 लाख पद खाली हो जाएंगे। यह सभी पद अगले दो साल में भरे जाएंगे। ऐसे में नए युवाओं को नौकरी मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है। पदोन्नति नीति के अनुसार जिस वर्ग में भर्ती हुई है, उसी वर्ग में पदोन्नति होगी। वहीं इस नए फार्मूले को लेकर अनुसूचित जाति कर्मचारी संगठन और सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अ​धिकारी कर्मचारी संघ की राय अलग-अलग है। 


सरकार का प्रमोशन देने का फार्मूला वर्टिकल रिजर्वेशन पर आधारित है। जो कर्मचारी जिस श्रेणी में भर्ती हुआ है, वह उसी श्रेणी में प्रमोशन पाएगा। इससे जितने भी पद रिक्त होंगे, उतने पद उसी वर्ग में बांटे जाएंगे। अन्य वर्ग का कर्मचारी इन पदों के लिए कोई दावा नहीं कर सकता, बेशक पद खाली ही रह जाएं। 


सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य
सामान्य प्रशासन ने जो नए नियम का ड्रॉफ्ट तैयार किया है, उसमें सभी प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन ही होंगे। अदालत का जो भी ​अंतिम निर्णय होगा, सरकार उसे पूरी तरह से लागू करेगी। हाईकोर्ट में इस समय प्रमोशन से संबं​धित एक हजार से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं। ऐसे में सवोच्च न्यायालय का फैसला ही अंतिम माना जाएगा। 


नई भर्ती के बाद बढ़ जाएगा बजट
प्रदेश में प्रमोशन के बाद लगभग दो लाख पद खाली हो जाएंगे। सरकार ने फैसला किया है कि यह दो लाख पद दो साल में भरे जाएंगे। इस समय सरकार का कुल बजट 27 प्रतिशत है, जो कर्मचारियों पर खर्च होता है। नई भर्ती के बाद यह बजट 1.5 लाख करोड़ रुपये से अ​​धिक हो जाएगा, जिससे सरकार पर ज्यादा बोझ बढ़ेगा। 


एक साल में एक लाख पद भरे जाएंगे
सरकार ने फैसला किया है कि वितवर्ष 2026-27 में एक लाख पद तथा 2027-28 में एक लाख पदों पर भर्तियां होंगी। इस साल में अलग-अलग समय में कर्मचारियों की पदोन्नति होगी। वित्त विभाग ने भी इसी के अनुसार अपने बजट की तैयारी की है। एक साथ सभी पद भरने से सरकार को वित्त की परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसलिए दो साल का समय रखा गया है ताकि सरकार अपना बजट भी मैंनटेन रख सके।