Tikamgarh News: महाराजा के नाम पर तालाब और इसी नाम से जाना जाता है 'वीर सागर'
Tikamgarh News: ओरछा रिसायत के महाराजा वीरसिंह देव प्रथम (1605-27 ई.) ने एक चंद्राकार बांध का निर्माण कराया था। जिसे महाराज के नाम पर ही वीर सागर नाम दिया गया और गांव बस्ती की पहचान भी तालाब से होती है। इसलिए गांव का नाम भी वीर सागर है, जो निवाड़ी जिले में आता है।
गांव की दूरी पृथ्वीपुर से करीब 15 किमी है। बताया जाता है कि दो पहाड़ों के बीच करीब 50 फीट चौड़ा दर्श था। महाराजा ने इसके आगे पूर्वी भाग में करीब 100 मीटर लंबा, 80 मीटर चौड़ा दोनों पहाड़ों को जोड़ते हुए अर्ध चन्द्राकार बांध बनवाकर विशाल सरोवर वीर सागर का निर्माण कराया था।
तालाब के उत्तरी पार्श्व के पहाड़ पर एक कोठी भी बनवाई थी, जो राजा की बैठक थी। तालाब की लंबाई करीब 5 किमी और चौड़ाई करीब 10 किमी रही है। इस तालाब को देखने मुगल सम्राट जहांगीर भी आया था। वीर सागर गांव की धरोहर इस तालाब की खासियत है कि अब तक यह कभी पूरी तरह खाली नहीं हुआ है। कितने ही अल्पवर्षा या अवर्षा के साल बीत गए। आसपास के गांव मड़वा का तालाब, लड़वारी का तालाब आदि सूख जाते हैं, लेकिन गांव के बुजुगों ने भी वीर सागर तालाब को कभी खाली नहीं देखा।
तालाब का पानी ग्रामीणों के निस्तार के साथ खेतों की सिंचाई के लिए बहुत उपयोगी है। वीर सागर सहित आसपास के कई गांव में नहरों के माध्यम से वीर सागर का पानी सिंचाई के लिए लिए पहुंचता है। इससे हजारों एकड़ कृषि भूमि में किसान फसलें उगाते हैं। तालाब में बड़े पैमाने पर मछली पालन किया जाता है।
महाराजा वीरसिंह देव ने चन्द्राकार बांध पर बांके बिहारी (श्री कृष्ण) का बहुत सुन्दर मंदिर बनवाया था। इस मंदिर के प्रांगण में सुन्दर बगीचा है। जो गांव सहित क्षेत्रवासियों की आस्था का केंद्र है। अच्छी बात यह है कि बुंदेलखंड के लिए अहम मानी जा रही केन-बेतवा लिंक परियोजना में वीर सागर तालाब को शामिल किया गया है। कभी न सूखने वाला तालाब भविष्य में लिंक परियोजना के भरा रहेगा।