Chhatarpur News: मंजूरी के बगैर वन भूमि में ग्रेनाइट खनन के लिए कंपनी ने पेड़ों की कर दी कटाई और निर्माण कराया
Chhatarpur News: केन बेतवा लिंक परियोजना में 23 लाख पेड़ कटने से बुंदेलखंड के पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ना तय है। इसी कारण भारत सरकार ने केन बेतवा प्रोजेक्ट पूरा होने तक 8 साल के लिए बकस्वाहा में देश के सबसे बड़े हीरा खनन प्रोजेक्ट को रोक दिया है। इस बीच खनिज विभाग ने लक्कुशनगर विकासखंड के भितरिया गांव में ग्रेनाइट-एम सेंड प्लांट के लिए एमओयू किया है।
यह खदान जंगल में 32.634 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है। खनन के लिए अभी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली है। इसके बावजूद कंपनी ने बाउंड्रीवॉल निर्माण सहित अन्य गतिविधियां शुरू कर दी हैं। पेड़ों कटाई के विरोध में ग्रामीण शशिकांत मिश्रा, महेंद्र, छबिलाल सहित अनेक लोगों ने शिकायतें की हैं।
वनमंडल छतरपुर की लक्कुशनगर रेंज के तहत वन कक्ष 708 और 709 में खनन लीज देने की कार्रवाई चल रही है। अवनि परिधि माइनिंग एंड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड और डीजी मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड ने मिलाकर 32.634 हेक्टेयर खदान के लिए 7 आवेदन में किए हैं। दोनों कंपनियों के डायरेक्टर दिलीप गुप्ता और अज्ञात गुप्ता सहित अन्य सदस्य आपस में रिश्तेदार हैं।
पट्टे की आड़ में किया निर्माण, सुप्रीम कोर्ट की अनदेखी
अवनी ग्रुप ने जिस एक हेक्टेयर भूमि पर निर्माण कर लिया है, वह वन विभाग की है, लेकिन ग्रुप का दावा है कि भूमि राजस्व विभाग द्वारा जारी पट्टे की है। अर्जुन अहिरवार को राजस्व विभाग से पट्टा जारी हुआ था। उसी से कंपनी ने खरीदी है, लेकिन वन विभाग का दावा है कि वह भूमि भी बंदोबस्त के समय से वन भूमि दर्ज है। पट्टा ही गलत जारी हुआ है।
मप्र भू राजस्व संहिता में स्पष्ट उल्लेख है कि आरक्षित या संरक्षित वन भूमि में पट्टे नहीं दिए जा सकते हैं। इसके अलावा वर्ष 1996 में सुप्रीम म कोर्ट द्वारा गोदावर्मन केस में फाइंडिंग दी है कि वन भूमि के आसपास किसी अन्य भूमि में भी कोई जंगल दर्ज है, तो उसे भी वन भूमि के रूप में ही ट्रीट किया जाए, लेकिन इस मामले में राजस्व विभाग मनमानी करते हुए वन भूमि पर खुलेआम कब्जा करवा रहा है।
पहाड़ी के पेड़ों को गिना नहीं
दोनों कंपनियों ने एक ही पहाड़ के लिए 7 लीज आवेदन किए हैं। इसका कुल रकबा 32.634 हेक्टेयर है। खनन के कारण वन क्षेत्र को होने वाले आकलन के लिए वन भूमि में लगे पेड़ों की गिनती जरूरी है। 20 सेंटीमीटर या इससे अधिक मोटाई (तना की परिधि) वाले पेड़ों की गिनती की जाना है। अब तक वन विभाग ने 15.156 हेक्टेयर में पेड़ों की गिनती की है। इसमें 2457 पेड़ पाए गए हैं। अभी 17.477 हेक्टेयर में लगे पेड़ों की वन विभाग ने गणना ही नहीं की है।
निर्माण कार्य को रोक दिया है
डीजी ग्रुप को भितरिया गांव में 32.634 हेक्टेयर वन भूमि में क्रेशर प्लांट लगाने की सैद्धांतिक मंजूरी मिली है, है, लेकिन अभी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति मिलना शेष है। कंपनी द्वारा वहां बगैर विधिवत मंजूरी के निर्माण कार्य किया जा रहा था, जिसे रोक दिया गया है। उन्हें रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाने के लिए भी पत्र लिखा है। -सर्वेश सोनवानी, डीएफओ छतरपुर