मध्यप्रदेश के नागरिकों पर बढ़ता जा रहा महंगाई का बोझ, अब बिजली के दाम हुए महंगे
मध्यप्रदेश के नागरिकों पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। पहले रसोई गैस और पेट्रोल महंगा हुआ था। अब मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने बिजली के रेटों में इजाफा कर दिया है। ऐसे में मध्यप्रदेश की जनता पर महंगाई की मार बढ़ती जा रही है। उनको एक से बढ़कर एक महंगाई के झटके लग रहे हैं।
मध्यप्रदेश के लोगों के लिए अप्रैल महीना उनकी जेब ढीली करता जा रहा है। नागरिकों पर महंगाई की मार बढ़ती जा रही है। अप्रैल शुरू होते ही मध्यप्रदेश में रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि की गई। इसके तुरंत बाद पेट्रोल की कीमतें बढ़ गई। अब मध्यप्रदेश में बिजली की दर महंगी हो गई हैं। ऐसे में नागरिकों को अब अपना जीवन यापन करने के लिए अधिक पैसे चुकाने होंगे। इसके अलावा बिजली बिल पर जमा होने वाले सुरक्षा निधि का ब्याज कम कर दिया है। इससे भी नागरिकों को परेशानी होगी। बिजली कंपनी पहले उपभोक्ताओं को सुरक्षा निधि के तहत 6.75 प्रतिशत ब्याज देती थी, लेकिन अब इसे घटाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया है।
बिजली वितरण निगम मध्यप्रदेश में बिजली उपभोक्ता को जमा सुरक्षा राशि पर ब्याज दर की घोषणा वित्तीय वर्ष की शुरुआत में करता है। यह ब्याज दर भारतीय रिजर्व बैंक के आधार पर होती हैं। आरबीआई ने नई नीति के तहत बैंक दर को संशोधित कर 6.50 प्रतिशत कर दिया है। इसलिए बिजली वितरण निगम को भी यह ब्याज दर कम करनी पड़ी। यदि ब्याज राशि 10 हजार रुपये प्रति वर्ष से अधिक होने की संभावना है तो आयकर अधिनियम के अनुसार दस प्रतिशत की दर से टीडीएस की कटौती की जाएगी। ऐसे में उपभोक्ता पैन नंबर नहीं देता है या फिर पैन कार्ड आधार कार्ड से लिंक नहीं है तो ऐसी स्थिति में 20 प्रतिशत टीडीएस काटा जाएगा।
दलालों का घूमना हुआ बंद
सामान्य तौर पर बिजली विजिलेंस ऑफिस के अंदर व बाहर लोगों के चालान खत्म करवाने या फिर जुर्माने की राशि कम करवाने के लिए उपभोक्ताओं दलालों का सहारा लेते थे। अब नए नियमों के अनुसार लोग जुर्माने की राशि कम करवाने के लिए बहुत कम आ रहे हैं। ऐसे में यहां पर दलालों का घूमना बंद सा हो गया है। यहां केवल लोग अधिकारियों का इंतजार करते देखे गए, न कि किसी दलाल का।
60 से 70 हजार केस लंबित
विजिलेंस अधिकारी कामेश श्रीवास्तव ने कहा कि बिजली ऑफिस के बाहर बाहरी तत्वों की एंट्री लगभग बंद कर दी गई है। विभाग ने इस तरफ काफी सख्ती की है। विजिलेंस के अधीन जुर्माना आदि के लगभग 60 से 70 हजार केस लंबित हैं। इनमें एक लाख या उससे कम राशि की चालान के केस ही 50 हजार से अधिक हैं। पहले प्रत्येक केस में अपील के लिए उपभोक्ता को यहां आना था, लेकिन अब नए नियमों के अनुसार यदि एक लाख रुपये जुर्माना की राशि है तो उनमें आपत्तियों की सुनवाई और उनका निवारण उन जिलों के कार्यपालन यंत्री ही कर सकेंगे। इससे बाहर के उपभोक्ताओं को अब इंदौर आने की जरूरत नहीं है।