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Guna News: जिले में काली हल्दी उगाने की शुरुआत ने बदली किस्मत, दूसरे किसानों को भी मिल रहा है मुनाफा

 

Guna News: सागर जिले के टेहरा-टेहरी गांव के किसान साधु शोभाराम पटेल ने काली हल्दी की खेती के रूप में अनुकरणीय नवाचार किया है। उन्होंने जब इसकी खेती करने का निर्णय लिया उसके पहले इसका नाम तक नहीं सुना था। न ही सागर सहित समूचे बुंदेलखंड में कोई काली हल्दी की खेती करता था। 65 वर्षीय पटेल बताते हैं कि वर्ष-2022 में भोपाल में लगे अंतरराष्ट्रीय वन मेले में गया था। तब मैं अश्वगंधा की खेती करता था, उसी के सैंपल लेकर मेले में गया था।

वहां किसानों को काली हल्दी के उत्पादन, लाभ आदि के बारे में बताया जा रहा था। पटेल ने बताया, मेले के दौरान क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में मैंने कुछ व्यापारियों के फोन नंबर ले लिए। बाद में जब काली हल्दी की खेती करने का मन बनाया तो सबसे पहला कॉल बिहार के व्यापारी को किया, उन्होंने रेट 3500 रुपए किलो बताई।

गुजरात के व्यापारी ने 2800 और कोलकाता के व्यापारी ने 1800 का भाव बताया। कोलकाता के ही दिनेश शर्मा ने 1600 रुपए किलो की रेट बताई। बाद में इस शर्त पर उन्होंने मुझे 700 रुपए किलो में काली हल्दी दे दी कि जो उत्पादन होगा, उन्हें ही बेचेंगे। हालांकि बाद में उन्होंने कह दिया कि जहां भी बेचना हो बेचो। किसान पटेल ने बताया, 1.40 लाख रुपए में दो क्विंटल काली हल्दी खरीदी। इसे 50 डिसमिल जगह में लगाया। खेत की जुताई की। मेढ़ बनाकर मलचिंग डालकर 6 से 8 इंच के अंतर पर हल्दी बोयी। जून में बोयी हल्दी में दो बार पानी दिया, उसके बाद बारिश शुरू हो गई।

मजदूरी पर 10 हजार और मलचिंग पर 15 हजार रुपए खर्च हुए। सिंचाई स्वयं ने की। बीज, बुवाई, खुदाई की कुल लागत 1.75 लाख रु. आई। पैदावार 16 क्विंटल हुई। बिक्री 600 रु. किलो से की। यानी कुल उत्पादन 9.60 लाख रु. व मुनाफा 7.85 लाख का हुआ। दूसरे साल दो क्विंटल हल्दी फिर लगाई और 16 क्विंटल उत्पादन हुआ। इस बार उपज किसानों को 400 रुपए किलो के हिसाब से बेच दी। ताकि वे भी यह खेती करें और ज्यादा मुनाफा कमाएं। खेती से किसानों की दोगुनी आय इसी तरह की कृषि से होगी। काली हल्दी में रासायनिक उर्वरक नहीं डालने पड़ते। खरपतवार हो भी तो हाथों से हटवा देते हैं।