Guna news: वेंटिलेटर पर पहुंची जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं, प्रबंधन सुधारने में हुआ फेल, अब संभालेंगे एडीम
Guna news: पिछले दो महीने से जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं वेंटीलेटर पर पहुंच चुकी हैं। मेटरनिटी विंग में मरीजों से वसूली की जा रही है, डॉक्टरों पर ऑपरेशन के बदले रुपए मांगने के आरोप लग रहे हैं, स्टाफ अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है। आए दिन यहां हंगामे की स्थिति बन रही है। जिला अस्पताल में लगातार अनियमितताएं सामने आने पर अब कलेक्टर ने यहां सुधार के लिए अपर कलेक्टर अखिलेश जैन को जिम्मेदारी सौंपी है। एडीएम अखिलेश जैन जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करेंगे और इसकी रिपोर्ट कलेक्टर किशोर कन्याल को सौपेंगे। इसके आधार पर हर सप्ताह कलेक्टर खुद अस्पताल का रिव्यु करेंगे। एडीएम डॉक्टरों की मौजूदगी से लेकर मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं और स्वच्छता की स्थिति के बारे में लगातार कलेक्ट को अपडेट करेंगे जिससे यहां सुधार हो सके। एडीएम अखिलेश जैन अगले सप्ताह से निरीक्षण शुरू करेंगे। उल्लेखनीय है कि नगर पालिका की लगातार शिकायतों के बाद कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर को यहां का प्रभार दिया था जिसके अच्छे परिणाम अब दिखने लगे हैं। नपा के बाद अब जिला अस्पताल में प्रशासन ने व्यवस्थाएं सुधारने के लिए कमान अपने हाथ में ली है। पिछले तीन महीने में जिला अस्पताल में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। दो डॉक्टरों पर ऑपरेशन के बदले रुपए मांगने के आरोप लग चुके हैं। एक सप्ताह पहले एक मृतक का पीएम करने के बाद उसका शव गैलरी में खुले में छोड़कर
कर्मचारी ताला लगाकर चले गए थे। मार्च की शुरुआत में 4 साल की बच्ची के इलाज में लापरवाही के आरोप लगे और एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी से उसकी मौत का मामला सामने आया। अप्रैल में जब कलेक्टर ने अस्पताल का निरीक्षण किया तो देखा कि सीटी स्कैन में मरीजों को गाउन और सैनेटाइजर तक नहीं दिया जा रहा। कई जगह डॉक्टरों के लिए रखी हुई कुर्सियां फटी थीं। स्टाफ द्वारा बदतमीजी करने की बात भी सामने आई। कलेक्टर ने सिस्टम में सुधार के लिए तीन महीने का समय दिया था। सिस्टम में सुधार हो रहा है, लेकिन यह धीमा है इसलिए अब एडीएम को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
आश्रम की रंगाई-पुताई के लिए दिए 10 हजार
गुरुवार को कलेक्टर रेडक्रॉस के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। जब कलेक्टर मां स्वरूपा आश्रम पहुंचे तो वहां की स्थिति देख कहा कि इसकी रंगाई-पुताई तो करें जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने बजट न होने की बात कही। कलेक्टर ने कहा कि पुताई में कितना खर्च होगा, जब उन्हें बताया कि 15 हजार लगेंगे तो कलेक्टर ने तत्काल 10 हजार रुपए अपनी ओर से देने की बात कही। इसके बाद अन्य लोग भी आगे आए और रंगाई-पुताई के लिए 23 हजार रुपए एकत्रित हो गए।
एडीएम सुबह-शाम कभी भी अस्पताल का औचक निरीक्षण करेंगे और देखेंगे कि स्टाफ समय पर आ रहा है या नहीं, मरीजों को किसी तरह की परेशानी तो नहीं आ रही है। इसके बाद वे मुझे रिपोर्ट देंगे और मैं खुद रिव्यू
यहां चार समस्याएं, जिसके कारण मरीज हो रहे परेशान
1. पार्किंग: जिला अस्पताल में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं है। मेटरनिटी विंग के बाहर गाड़ियों की कतार लगी रहती है जिसे रोकने का कई बार प्रयास किया, लेकिन हालात नहीं सुधरे। पार्किंग के लिए निर्धारित है, लेकिन कोई भी मनचाहे तरीके से गाड़ी खड़ी करता है। कई बार तो एंबुलेंसों को तक दिक्कत आती है।
2. ओपीडी: डॉक्टर समय पर ओपीडी में नह पहुंच रहे हैं। जब भी प्रशासनिक अधिकारियों ने जांच की है तो बड़ी संख्या में डॉक्टर और स्टाफ नदारद मिला है। कई ड्यूटी डॉक्टर तो ह्याजिरी रजिस्टर में साइन करके वार्ड विजिट के नाम पर क्लीनिक पर मरीज देखने के लिए चले जाते हैं। ओपीडी में आए मरीज इससे परेशान होते हैं।
3. स्वच्छता: जिला अस्पताल में जगह-जगह गंदगी देखी जा सकती है। मरीजों को साफ बेडशीट नहीं मिलती है। कुछ दिन पहले ही भर्ती एक युवती से अधिकारियों के सामने बेडशीट के पैसे मांगने की शिकायत कर दी थी। इसके बाद कार्रवाई भी हुई थी, लेकिन व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
4. मरीजों से सेवा शुल्कः मेटरनिटी विंग में प्रसूताओं और उनके अटेंडरों से रुपए मांगे जाते हैं। उन्हें केस बिगड़ने और रैफर करने का डर स्टाफ दिखाता है और बदले में रुपए मांगता। जिला अस्पताल में आने वाले हर मरीज को बेहतर इलाज और अच्छी सुविधा मिलेगी। किशोर कन्याल, कलेक्टर गुना