जिले में फिर हुआ बवाल: गणेश प्रतिमा पर पथराव से तनाव, पुलिस और एसटीएफ की तैनाती
Burhanpur News: गणेश प्रतिमा पर हुए पथराव के बाद बिरोदा गांव में तनाव गहरा गया है। पूरा गांव सन्नाटे में डूबा है और गलियों में भारी पुलिस बल के साथ एसटीएफ के जवान तैनात हैं। सड़कें ईंट-पत्थरों से पटी हैं, जिससे जगह-जगह लाल निशान बन गए हैं। हालात इतने बिगड़े कि स्कूल और आंगनवाड़ी तक बंद कर दिए गए। साप्ताहिक हाट बाजार भी नहीं लग सका।
रविवार देर रात गणेश प्रतिमा का जुलूस पंचायत से आगे बढ़ा तो तड़वी मोहल्ले की ओर से अचानक पथराव शुरू हो गया। बताया गया कि पहले गुलाल उड़ाने को लेकर विवाद हुआ, फिर मामला मारपीट तक पहुंचा। इस झड़प में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मौके पर मौजूद पुलिस ने स्थिति संभालने की कोशिश की, लेकिन तभी दूसरी ओर से भीड़ तड़वी मोहल्ले की ओर चढ़ गई। पहले ईंटें बरसीं और फिर लोग मोहल्ले में घुसकर तोड़फोड़ और मारपीट करने लगे। घरों के दरवाजे तक तोड़ दिए गए।
महिलाओं का कहना है कि अचानक हुए हमले में लोग जान बचाकर घरों में घुसे, लेकिन भीड़ अंदर तक पहुंच गई। जिसने भी सामने आया, उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। डर के माहौल में मोहल्ले के पुरुष घर छोड़कर भाग गए और अब महिलाएं व बच्चे दुबक कर बैठे हैं। कई घरों के ताले टूटे पड़े हैं, तो कई परिवार पूरी तरह मोहल्ला खाली कर चुके हैं।
घटना के बाद पूरे गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल है। पुलिस बल और एसटीएफ की टीम रातभर तैनात रही। गांव के हालात देखते हुए स्कूल और आंगनवाड़ी को बंद रखना पड़ा।
दोनों पक्षों पर केस दर्ज
पथराव के बाद दोनों पक्षों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। एक पक्ष की रिपोर्ट पर सात लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज हुआ है। इनमें से जिसने सबसे पहले पत्थर फेंका, उसकी गिरफ्तारी हो चुकी है। सात अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया है। दूसरे पक्ष की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ है।
ग्राम पंचायत ने सुरक्षा के लिए हाल ही में गांव में 20 सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। पुलिस ने डीवीआर जब्त कर लिया है और फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है।
तीन साल में चौथी बार तनाव
बिरोदा गांव में यह पहला मौका नहीं है जब माहौल बिगड़ा हो। पिछले तीन साल में यहां चौथी बार तनाव की स्थिति बनी है। इनमें से तीन बार पथराव की घटनाएं हो चुकी हैं। गांव की आबादी लगभग सात हजार है और धार्मिक आयोजनों को लेकर अक्सर विवाद खड़ा हो जाता है। आयोजनों के लिए रूट तय करने से लेकर अन्य व्यवस्थाओं पर भी सहमति नहीं बन पाती।
गांव की भौगोलिक स्थिति भी चुनौतीपूर्ण है। यह महाराष्ट्र की सीमा से सटा है और महज एक किलोमीटर की दूरी पर महाराष्ट्र जाने के तीन कच्चे रास्ते मौजूद हैं। विवाद के समय लोग इन रास्तों से भाग जाते हैं, जिससे हालात और जटिल हो जाते हैं।
प्रशासन की लापरवाही
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस-प्रशासन की लापरवाही के कारण बार-बार यह स्थिति बन रही है। धार्मिक आयोजनों से पहले विवाद करने वाले तत्वों पर सख्ती नहीं की जाती। कार्रवाई में देरी और ढिलाई से मनोबल बढ़ता है और बार-बार तनाव की नौबत आती है।
पिछले वर्षों में भी ऐसे कई मौके आए जब धार्मिक आयोजनों के दौरान माहौल बिगड़ा। महाशिवरात्रि के समय लगे पंडाल और समाधि स्थल को लेकर विवाद हुआ था, तब भी जमकर पथराव हुआ। पिछले साल ईद मिलादुन्नबी के जुलूस का रूट तय करने को लेकर भी बड़ी बहस छिड़ गई थी। पंचायत के सामने हुई बैठक में दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए थे।
डरे-सहमे लोग, सुनसान गलियां
तड़वी मोहल्ला इस समय पूरी तरह वीरान है। आधे से ज्यादा मकानों पर ताले लटके हैं और कुछ घर तोड़फोड़ के बाद वैसे ही खुले पड़े हैं। मजदूरी करके जीवनयापन करने वाले परिवार कह रहे हैं कि जिन्होंने हमला किया, वही लोग उनके खेतों में काम दिलाते हैं। अब वही लोग दुश्मन बनकर सामने आए।
पुलिस कई बेगुनाहों को भी उठा ले गई है। डर के कारण गांव के ज्यादातर पुरुष घर छोड़कर भाग चुके हैं। महिलाएं और बच्चे ही घरों में मौजूद हैं, जो दहशत में समय काट रहे हैं।
आगे की स्थिति
फिलहाल गांव में भारी सुरक्षा बल तैनात है और स्थिति सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं। प्रशासन कह रहा है कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दोषियों को पकड़ा जाएगा। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाती रहेंगी।