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Guna News: जून में पहुंचा 45 पर पारा, फ़िलहाल राहत की कोई उम्मीद नही 

 

Guna News: राजस्थान से आ रही गर्म हवा ने अंचल को झुलसा रखा है। सोमवार को अधिकतम तापमान 45 डिग्री पर पहुंच गया। पांच साल में पहली बार जून में तापमान 45 डिग्री तक पहुंचा। वहीं न्यूनतम तापमान भी पहली बार 29 डिग्री पर पहुंच गया। यानि न दिन में राहत रही, न रात में चैन। मौसम विभाग का कहना है कि 14 जून तक राहत मिलने की संभावना कम है।

उसके बाद लगातार बारिश के दौर आ सकते हैं। उधर मानसून ने शुरूआत में जो भी बढ़त बनाई थी, वह अब गंवा दी है। 13 दिन से इसमें कोई प्रगति नहीं हुई। यही वजह है कि अब मप्र में मानसून की आमद, इसकी सामान्य तिथि यानि 15-16 जून को ही संभावित है। अगर इसकी रफ्तार सामान्य रही तो गुना में यह 22 से 23 जून के बीच दस्तक देगा।

2019 के बाद पहली बार 45 पर पहुंचा पारा

इस साल नौतपे में तापमान सामान्य से नीचे बना रहा। इस दौरान कम से कम पांच दिन अंचल में कहीं न कहीं बारिश भी हुई। सीजन में अब तक का सबसे गर्म दिन 21 मई को रिकॉर्ड हुआ, जब तापमान 44.4 पर पहुंचा। इससे पहले 16 मई और 18 अप्रैल को तापमान 44 डिग्री तक के आसपास पहुंचा था। इस सीजन में पहली बार 45 पर तापमान पहुंचा।

वहीं 2019 के बाद पहली बार जून में तापमान 45 पर पहुंचा। 2019 में तापमान 46.8 डिग्री दर्ज हुआ था, जो ऑलटाइम रिकॉर्ड है। इसके बाद 2022 में 44.5 और 2024 में 44.4 डिग्री अधिकतम तापमान रहा। 2015 से 2017 के बीच तीन साल ऐसे भी रहे, जब जून में तापमान 45 डिग्री तक पहुंचा।

वर्तमान में 15 से 20 किमी की रफ्तार से चल रही पश्चिमी हवा

इस समय मानसून सुस्त पड़ा है। उत्तर भारत में कोई पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं है। यही वजह है कि वातावरण में नमी बिल्कुल गायब हो गई है। हवा का रुख लगातार पश्चिमी बना हुआ है। इसकी रफ्तार भी बहुत ज्यादा (15 से 20 किमी प्रति घंटा) है। इन सभी वजहों से तेज गर्मी पड़ रही है।

13 जून को आ सकता है पश्चिमी विक्षोभ

गर्मी में तेज गर्मी के दौर को रोकने वाला सबसे अहम मौसम का सिस्टम पश्चिमी विक्षोभ रहता है। ऐसा ही सिस्टम 13 जून को आ सकता है। इससे पश्चिमी हवा बाधित होगी। इसी दौरान मानसून एक बार फिर सक्रिय हो सकता है। बीते 13 दिन इसकी अरब सागर वाली शाखा दक्षिण छत्तीसगढ़ में अटकी है। 15 से 16 तारीख के बीच यह पश्चिमी बंगाल, पूर्वी मप्र, बिहार, झारखंड और पूरे महाराष्ट्र को कवर कर सकता है। उम्मीद की जा रही है कि इसकी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी, वाली दोनों शाखाएं मजबूत होंगी।