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6400 परिवारों तक नहीं पहुंच रहा नल का पानी, नगर पालिका 3 साल से टंकियां नहीं बना पाई

 

Chhatarpur News: अमृत जल योजना के तहत छतरपुर शहर में करीब 375 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई थी। योजना का उद्देश्य था कि हर घर तक नल से पानी की आपूर्ति हो सके। इसके लिए 40 वार्डों में 21 हजार नए नल कनेक्शन दिए गए और पहले से मौजूद 9600 कनेक्शन भी चालू रहे। इस तरह कुल 31,600 घरों में नल कनेक्शन तो हो गए, लेकिन इनमें से लगभग 6400 घरों में पानी आज तक नहीं पहुंचा।

अधूरी टंकियों से अधर में सप्लाई

योजना के दौरान कई ऐसे घरों में भी कनेक्शन कर दिए गए, जहां पानी पहुंचना संभव ही नहीं था। असल में इन इलाकों में पानी की आपूर्ति नई टंकियों के निर्माण पर निर्भर थी, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी 5 प्रस्तावित टंकियों का काम शुरू नहीं हो सका। जब तक यह निर्माण पूरा नहीं होता, तब तक हजारों परिवार पानी के लिए तरसते रहेंगे।

जिन इलाकों में नहीं पहुंच रहा पानी

शहर के वार्ड 19 में संस्कार स्कूल के पीछे, वार्ड 10 के पंचमुखी बब्बा जू वाली गली, चौबे कॉलोनी के कछयाना मोहल्ला, अमानगंज मोहल्ला, सटई रोड स्थित गल्ला मंडी के पीछे और बच्चा जेल के पास करीब 1900 घरों में बिल्कुल पानी की आपूर्ति नहीं हो रही। इसके अलावा लगभग 4000 घरों में बहुत ही कम प्रेशर से पानी पहुंच रहा है, जिससे उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं।

योजना को 9 साल हो गए, समस्या जस की तस

वर्ष 2016 में अमृत जल योजना स्वीकृत हुई थी। इसका मकसद था कि शहर को जल संकट से स्थायी राहत दी जा सके। 9 साल बाद भी स्थिति यह है कि सभी वार्डों तक पानी की सुविधा नहीं पहुंच पाई है। अब तक 14 टंकियों का निर्माण तो हो चुका है, लेकिन 5 टंकियां आज भी अधूरी पड़ी हैं।

वार्डवासियों की परेशानी

वार्ड 23 (एसवीएन कॉलेज के पास): यहां 200 घरों में तीन साल पहले नल कनेक्शन दिए गए थे, लेकिन पानी की सप्लाई आज तक शुरू नहीं हुई। स्थानीय लोगों ने कई बार नगर पालिका में आवेदन दिया और सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत भी दर्ज कराई, फिर भी स्थिति नहीं बदली।

वार्ड 10 (पंचमुखी बब्बा जू वाली गली): करीब 50 घरों में पानी नहीं पहुंच रहा। गर्मी के दिनों में जब बोर और हैंडपंप सूख जाते हैं, तो लोग मजबूरी में टैंकर खरीदकर पानी की व्यवस्था करते हैं।

वार्ड 1 (नारायणपुरा रोड, सिद्धेश्वर मंदिर के पास): यहां भी करीब 100 घरों में पानी की सप्लाई नहीं है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस क्षेत्र में जलस्तर बहुत कम है और हर साल दिसंबर-जनवरी में बोरिंग सूख जाते हैं, जिसके कारण 5–6 महीने पानी की किल्लत बनी रहती है।

टैंकरों पर निर्भर लोग

जहां नल से पानी नहीं मिल रहा, वहां परिवार हर महीने हजारों रुपए खर्च करके निजी टैंकर मंगाने पर मजबूर हैं। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह स्थिति और ज्यादा कठिन है। लोगों का कहना है कि योजना का लाभ उन्हें अब तक नहीं मिला, जबकि कनेक्शन का पैसा उन्होंने पहले ही जमा कर दिया था।

आखिर कब मिलेगा पानी?

नगर पालिका का कहना है कि अधूरी पड़ी 5 टंकियों के निर्माण के लिए लंबे समय से ठेकेदार नहीं मिल रहे थे। हाल ही में हुई टेंडर प्रक्रिया में भोपाल की बीजे एसोसिएट्स कंपनी को यह काम सौंपा गया है। अधिकारी दावा कर रहे हैं कि अब जल्द ही टंकियों का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा और पानी की समस्या का समाधान होगा।