छतरपुर में आवारा कुत्तों का आतंक, रोज करीब 90 लोग घायल
Chhatarpur News: छतरपुर शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में आवारा कुत्तों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 90 से 95 लोग कुत्तों के काटने के मामलों में पहुंचते हैं। इससे घायलों को इलाज में 3-4 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि इसी समय वायरल बीमारियों के मरीज भी अस्पताल आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नगर पालिका और पशु पालन विभाग आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम ले जाते हैं, वहां उनकी नसबंदी और टीकाकरण किया जाता है। लेकिन समस्या यह है कि शहर में अभी तक कोई शेल्टर होम नहीं है और वैक्सीन की कमी के कारण टीकाकरण नहीं हो पा रहा। ऐसे में न केवल कुत्तों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि लोग लगातार खतरे में हैं।
हाल ही में तीन प्रमुख मामले सामने आए। सटई रोड पर शिक्षक पैदल जा रहे थे, तभी एक आवारा कुत्ता उनके पैर में हमला कर गया। गढ़ीमलहरा क्षेत्र में एक छात्र मॉर्निंग वॉक के दौरान कुत्ते के हमले में घायल हुआ। वहीं झमटुली गांव में एक व्यक्ति को उसके कमरे में सोते समय कुत्ते ने काट लिया। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि आवारा कुत्ते अब घरों के आसपास भी हमला कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 2001 में एबीसी (Animal Birth Control) नियम बनाए थे। इसके तहत नगर पालिका और पशु पालन विभाग जिम्मेदार हैं कि आवारा कुत्तों को मानवता के साथ पकड़कर नसबंदी और टीकाकरण करवाएं। नर और मादा कुत्तों के ऑपरेशन से जन्म नियंत्रण सुनिश्चित किया जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जनवरी-फरवरी और अगस्त-सितंबर में डॉग प्रजनन के कारण हमलों की संख्या बढ़ जाती है।
नगर पालिका ने पिछली दो बार निविदा आमंत्रित की थी, लेकिन कोई संस्था सामने नहीं आई। वैक्सीन की कमी के कारण कुत्तों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा। शहर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने से लोग डर के साए में जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
इस स्थिति से निपटने के लिए नगर पालिका को शेल्टर होम और पर्याप्त वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही लोगों को भी सावधान रहने की जरूरत है, ताकि गंभीर हादसों से बचा जा सके।