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15 दिन बाद भी नहीं फूटे सोयाबीन के बीज, सड़ने लगे खेतों में

 

Chhatarpur News: महाराजपुर क्षेत्र के किसानों ने इस बार मूंगफली की जगह बड़े रकबे में सोयाबीन बोई थी, लेकिन बुवाई के 15 दिन बाद भी खेतों में अंकुरण नहीं हुआ। कई किसानों ने जब मिट्टी हटाकर देखा तो बीज सड़े हुए मिले। इससे पौधे उग ही नहीं पाए। मूंगफली की फसल भी कई खेतों में अधूरी जमी है, जिससे किसानों की मेहनत और लागत दोनों पर असर पड़ा है।

किसानों ने छतरपुर और गढ़ीमलहरा के विक्रेताओं से 90 दिन में पकने वाला सोयाबीन बीज खरीदा था। अब 15 दिन बाद भी अंकुरण नहीं होने से उन्हें दोबारा खर्च कर बुवाई करनी पड़ रही है। कुछ किसानों ने दोबारा जुताई शुरू कर दी है, तो कुछ बारिश रुकने का इंतजार कर रहे हैं।

क्षेत्र में लगातार बारिश से खेतों में कीचड़ भर गया है, जिससे न ट्रैक्टर जा पा रहे हैं और न ही किसान खेतों में उतर पा रहे हैं। अगर खेत समय पर नहीं सूखे तो फसल हाथ से निकल सकती है।नेगुवा गांव के किसान हजारीलाल रिछारिया ने बताया कि उन्होंने 10 एकड़ में सोयाबीन और 25 एकड़ में मूंगफली बोई थी। सोयाबीन का एक भी पौधा नहीं निकला और मूंगफली भी आधी ही जम पाई।

ढिगपुरा के किसान रामकुमार पाठक और मजगुवा के रामगोपाल पटेल की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। उन्होंने भी बड़े रकबे में सोयाबीन बोई थी, लेकिन अंकुरण पूरी तरह से विफल रहा।नेगुवा, ढिगपुरा, मजगुवा, गुदारा, बररोहि, बुडरख, उर्दाऊ, खिरी, मलका और ऊजरा जैसे गांवों में भी फसलों की यही स्थिति है।

किसान ओमप्रकाश पाठक और ब्रजेश तिवारी का कहना है कि बुवाई के लिए बारिश रुकना जरूरी है, नहीं तो फसल समय पर नहीं लग पाएगी। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी आरपी द्विवेदी के अनुसार बीज खराब होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे बीज की गुणवत्ता खराब होना, बीज पुराना या क्षतिग्रस्त होना, मिट्टी में नमी की कमी या जलभराव के कारण ऑक्सीजन की कमी से बीज सड़ जाते हैं।