छोटे जिले इलेक्ट्रिक वाहनों से पिछड़े, बिजली कटौती और चार्जिंग की कमी मुख्य वजह
MP News: मध्यप्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता बड़े शहरों में दिखाई दे रही है, लेकिन छोटे जिले इस रेस से काफी पीछे हैं। राज्य में अब तक लगभग 2 लाख 96 हजार इलेक्ट्रिक वाहन रजिस्टर हो चुके हैं, जिसमें बैटरी ऑपरेटेड ई-व्हीकल से लेकर स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वाहन शामिल हैं। बड़े शहरों जैसे इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में इन वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
छोटे जिलों की स्थिति अलग है। सात जिले निवाड़ी (480), अनूपपुर (472), आगरमालवा (416), बुरहानपुर (394), उमरिया (277), आलीराजपुर (176) और डिंडोरी (138) में अब तक 500 से भी कम इलेक्ट्रिक वाहन हैं। इन जिलों में बिजली की अनियमित आपूर्ति और चार्जिंग स्टेशन की कमी मुख्य कारण माने जा रहे हैं। छोटे शहरों के लोग सुविधाओं की कमी के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर कम रुझान दिखा रहे हैं।
स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वाहन, जिनमें पेट्रोल इंजन के साथ बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों विकल्प मौजूद होते हैं, इन छोटे जिलों में लगभग नहीं बिक रहे। धार, आगरमालवा, आलीराजपुर, डिंडोरी, निवाड़ी, रायसेन, राजगढ़, शाजापुर, टीकमगढ़ और उमरिया में एक भी हाइब्रिड वाहन रजिस्टर्ड नहीं है। वहीं, बड़वानी, भिंड, दतिया, देवास, सीहोर और श्योपुर में मात्र एक-एक वाहन ही मौजूद है।
बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से बढ़ना देखा जा रहा है। इंदौर में 56,398, भोपाल में 35,498, ग्वालियर में 31,023 और जबलपुर में 27,283 इलेक्ट्रिक वाहन चल रहे हैं। छोटे जिलों के लोग महंगे हाइब्रिड वाहन खरीदने के बजाय किफायती पेट्रोल-डीजल वाहन या केवल ईवी की ओर ही रुख कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर छोटे शहरों में बिजली आपूर्ति स्थिर और चार्जिंग स्टेशन सुविधाजनक हों, तो इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच बढ़ सकती है। फिलहाल, बिजली कटौती और अव्यवस्था के कारण छोटे जिलों के लोग इस नई तकनीक से दूरी बनाए हुए हैं।