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खदान के किनारे स्कूल और छात्रावास; ब्लास्टिंग से विद्यार्थी दहशत में

 

Chhatarpur News: एक गाँव में स्थित डायस्पोर पत्थर की खदान के महज कुछ मीटर दूर कई सरकारी शैक्षणिक भवन और छात्रावास बने हैं, जिनमें सैकड़ों छात्र पढ़ते और रहते हैं। स्थानीयों और शिक्षकों का कहना है कि मॉडल उच्च माध्यमिक विद्यालय और तीन बड़े छात्रावास 2013-14 में बनाए गए थे और तब से खदान व स्कूलों के बीच की दूरी लगभग पचास मीटर ही बनी हुई है, जबकि नियमों के अनुसार यह कम से कम 500 मीटर से एक किलोमीटर होनी चाहिए।

गाँववाले बताते हैं कि ब्लास्टिंग की आवाज़ और कंपन रोज़ाना महसूस होते हैं। कई बार इतनी तेज़ आवाज़ आई कि घरों के बर्तन हिले और छात्रावासों में रात के समय बच्चे भयभीत होकर चीख पड़े। एक बुजुर्ग ने बताया कि चार महीने पहले रात में हुई ब्लास्टिंग के बाद पूरा इलाका कांप उठा था। शिक्षाकर्मी और अभिभावक बार-बार सुरक्षा की मांग उठा चुके हैं, पर अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

खनन संचालक का कहना है कि खदान स्वीकृत होने पर आसपास कोई बड़ा निर्माण नहीं था; बाद में स्कूल और छात्रावास बने, इसलिए उन्होंने खनन की दिशा बदलकर स्कूलों की तरफ़ काम कम कर दिया है। कुछ लोगों ने कहा कि मामला अदालत में भी लंबित है और इसी वजह से व्यवस्थाएँ सीमित रहीं।

प्रशासन ने विषय की गंभीरता स्वीकार करते हुए जांच प्रतिवेदन मंगवाया है। माइनिंग तथा पर्यावरण विभाग के अधिकारी स्थल का सर्वे कर रहे हैं और जल्द सुरक्षा संबंधी अनुशंसाएँ प्रस्तुत करने की बात कही जा रही है। साथ ही स्थानीय प्रतिनिधियों और विद्यालय प्रबंधन के साथ समन्वय बढ़ाने पर भी चर्चा हुई है।

स्थानीय समुदाय अब यह सवाल उठा रहा है कि नियमानुसार आवश्यक दूरी के बावजूद स्वीकृति कैसे मिली और क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा कर रहा है? यदि शीघ्र और सुस्पष्ट सुरक्षा कदम नहीं उठाए गए तो गाँववासी उग्र प्रदर्शन व कानूनी विकल्पों पर जाने तक की चेतावनी दे रहे हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि तत्काल प्रभाव से स्कूल-छात्रावासों के चारों ओर सुरक्षा संकेत, चेतावनी पट्टिकाएँ और बैरिकेड लगाए जाएँ तथा ब्लास्टिंग का समय व दूरी निर्धारित की जाए।