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Chhatarpur News: स्वास्थ्य प्रबंधन की लापरवाही से खंडहर हो रहा सुरक्षित मातृत्व आश्वासन भवन 

 

Chhatarpur News: नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुरक्षित मातृत्व आश्वासन की बिल्डिंग स्वास्थ्य प्रबंधन की लापरवाही के चलते खंडहर में तब्दील हो चुकी है। दरअसल सुरक्षित मातृत्व आश्वासन का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में आने वाली सभी महिलाओं और नवजात शिशुओं को निशुल्क, सम्मानजनक, आदरपूर्ण और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।

जानकारी के अनुसार यह योजना गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद 6 महीने तक महिलाओं और शिशुओं की देखभाल करती है। जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में निशुल्क प्रसव और सी-सेक्शन उपलब्ध हैं। बताया गया है कि सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना के तहत प्रसव के बाद 6 महीने तक माताओं और शिशुओं को घर-आधारित नवजात शिशु देखभाल मिलती है। जिसमें शिशुओं की देखभाल और प्रसवोत्तर जटिलताओं का प्रबंधन किया जाता है। गर्भवती महिलाओं  को सभी चिकित्सा सुविधाएं बिना किसी परेशानी के उपलब्ध होती हैं।

गर्भवती महिलाओं को घर से स्वास्थ्य केंद्र तक मुफ्त परिवहन की सुविधा भी मिलती है। इसके अलावा यह योजना सभी रोकथाम योग्य मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु और बीमारियों को समाप्त करने के लिए काम करती है, लेकिन यहां विभागीय लापरवाही के चलते महिलाओं को इस योजना का लाभनहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा लाखों रुपए से तैयार किए गए इस नए भवन का रखरखाव तक नहीं कर पा रहा है। जिससे भवन खंडहर में तब्दील होता जा रहा है।

नगर पलेरा में स्वास्थ्य

सुविधाओं को लेकर जनप्रतिनिधियों की गंभीरता की कमी एक गंभीर मुद्दा है। पलेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में छह डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं। जिनमें शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हैं लेकिन यहां पर सभी पद खाली पड़े हुए हैं। बम्होरी कला बराना से ओडी पर डॉक्टर लगे हुए हैं। यह चिंताजनक है, क्योंकि बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी और दवाओं की कमी जैसी समस्याएं यहां आम हो गई हैं। इसके अलावा इलाज का बढ़ता बोझ भी लोगों के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती है। नगर के लोगों का कहना कि जनप्रतिनिधियों को स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अधिक जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है।

सुरांदक्षत मातृत्व आश्वासन है

उन्हें इन समस्याओं को हल करने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करने की भी आवश्यकता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी एक प्रमुख समस्या है। स्वच्छता के बुनियादी ढांचे की कमी, जागरूकता की कमी और सुविधाओं तक सीमित पहुंच सहित कई चुनौतियां हैं। जिसमें पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारियों की कमी भी एक समस्या है। जिससे लोगों को आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने में कठिनाई होती है।