Chhatarpur News: छत, आंगन व सीढ़ियों को बनाया गार्डन, मटका खाद से 150 गमलों में रोपे पौधे
Chhatarpur News: महाराजपुर में शारदा कॉलोनी के एडवोकेट अशोक चौरसिया उर्फ राजू विद्यार्थी ने घर के बगल में पड़े खाली प्लाट में 10 साल पहले फूलों एवं फलों का बगीचा तैयार किया। जिसमें उन्होंने कई प्रकार के फूलदार पौधे लगाए।
जिसमे 7 प्रकार के गुलाब, 4 प्रकार की गुड़हल, 2 प्रकार के कनेर, 2 प्रकार की बारह मासी, 2 प्रकार के गित्री, चमेली, बेला, बड़ा गेंदा, छोटा गेंदा, मौसमी फूल, रातरानी सहित अनेक प्रकार के फूलदार पौधे शामिल है। लेकिन मिट्टी की गुड़ाई और नियमित पानी देने के बाद भी इन पौधों के फूल छोटा आ रहे थे।
इसके बाद उन्होंने रासायनिक खाद का उपयोग किया। इसके बाद भी फूल मेहनत के हिसाब से बड़े नहीं हुए। इसके बाद एडवोकेट और उनकी पत्नी नीता चौरसिया ने एक ड्रम में घर की सब्जी से निकलने छिलके, सूखे फूल और गोबर के साथ बचा हुआ भोजन डालकर मटका खाद्य तैयार किया। जिसकी शुरुआत उन्होंने गुलाब के कुछ पौधों में डालकर टेस्टिंग की और कुछ दिनों बाद गुलाब के पौधों में बड़े-बड़े फूल आने लगे।
साथ ही जो फूल दो तीन दिन में झड़ जाते थे, वे फूल 10 दिन तक पेड़ों से नहीं झड़े। प्रयोग सफल होने पर नीता चौरसिया ने दो बड़े-बड़े ड्रमों में खरीद खाद्य बनाकर पौधों में डालना शुरू कर दिया। तब से सभी पौधों में बड़े और चमकदार फूल खिल रहे हैं। अपने घर पर लगाए गए इन पौधों की देखभाल यह दंपती मॉर्निंग वॉक के बाद प्रतिदिन दो घंटे करते हैं।
दयाशंकर ने मटका खाद से 40 गमलों का बगीचा किया तैयार
महाराजपुर में शारदा कॉलोनी के एडवोकेट दयाशंकर चौरसिया ने राजू विद्यार्थी से प्रेरणा लेकर बीते 3 साल में अपने घर पर मटका खाद से 40 गमलों का बगीचा तैयार किया है। जिन्हें उन्होंने पौधों की कलम लगाकर तैयार किया। जिनमें गुलाब, गुड़हल, गेंदी और गिन्नी के फूलदार पौधे शामिल है।
इन फूलों को वे कॉलोनी के लोगों को पूजा के लिए दान कर देते है। दयाशंकर बताते हैं कि मटका खाद में घर से निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग हो जाता है। साथ ही पौधों में डालने के लिए बाहर से जैविक खाद की खरीदी नहीं करनी पड़ती। जिससे रुपए की बचत होती है। साथ गमलों में लगाए गए पौधों में अच्छे और सुंदर फूल आते हैं।
कॉलोनी के लोगों को निशुल्क वितरित कर रहे फूल
राजू विद्यार्थी और उनकी पत्नी नीता ने बीते 4 साल में 150 गमले खरीद कर अपने घर की छत को बगीचे का रूप दे दिया है। इन सभी गमलों में लगे पौधे कलम पद्धति से उगाए गए है। इसलिए उनके घर के अंदर, सीढ़ीयों और छत के ऊपर 150 गमलों में फूल खिले हुए है। अब यह घर-घर न होकर किसी बगीचे की तरह लग रहा है। इतने अधिक गमलों में उगे फूलों की खुशबू अब पूरी कॉलोनी में फैल रही है। उनके घर के अंदर, सीढ़ियों और छत पर रखे गमलों से रोजाना बढ़ी मात्रा में फूल निकलते हैं। इन फूलों को वे कॉलोनी और नगर के लोगों को रोजमर्रा की पूजा और घरों में होने वाले यज्ञ या अन्य धार्मिक अनुष्ठान के लिए बीते 8 साल से निशुल्क दे रहे हैं।