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गुणवत्ता पर उठे सवाल, भोपाल से रिपोर्ट का इंतजार

 

Badwani News: शहर की औरंगपुरा क्षेत्र की सीसी रोड एक बार फिर चर्चा में है। लंबे समय से विवादों में रही इस सड़क की गुणवत्ता की जांच के लिए मंगलवार को भोपाल से टीम खरगोन पहुंची। थर्ड पार्टी जांच के तहत एनएचएआई के सेवानिवृत्त अफसर ने मौके पर पहुंचकर औरंगपुरा रोड व कसरावद रोड पर बनी नई सीसी रोड से सैंपल लिए। जांच प्रक्रिया नगर पालिका अफसरों और ठेकेदार की मौजूदगी में की गई।

तीन जगह से कोर कटिंग

टीम ने औरंगपुरा क्षेत्र में बनी सड़क से तीन स्थानों पर कोर कटिंग कर सैंपल निकाले। इसके साथ ही कसरावद रोड की नई सीसी रोड की भी जांच की गई। सैंपल लेने के दौरान नगर पालिका के सहायक यंत्री और उपयंत्री भी मौजूद थे। जांच के दौरान पूरे काम को रिकॉर्ड किया गया ताकि भविष्य में किसी तरह का विवाद न रहे।

भुगतान पर रोक

ठेकेदार का कहना है कि उसने करीब 800 मीटर सड़क पर 1 करोड़ 18 लाख रुपये खर्च किए हैं, जबकि नगर पालिका अधिकारियों का दावा है कि निर्माण गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो चुका है। इसी कारण फिलहाल ठेकेदार का भुगतान रोक दिया गया है। नपा अधिकारियों के मुताबिक, निर्माण कार्य की फाइल भोपाल भेज दी गई है और अब वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही अंतिम निर्णय होगा।

कायाकल्प योजना से बनी थी सड़क

दो साल पहले कायाकल्प योजना के तहत तीन करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। योजना के अनुसार औरंगपुरा नाके से नवग्रह मंदिर तिराहे तक 1500 मीटर लंबी सीसी रोड बननी थी। अनुमान था कि यह काम तीन से चार महीने में पूरा हो जाएगा, लेकिन काम में कई बार ठेकेदार बदले गए। नतीजा यह हुआ कि तीन साल लगने के बाद भी सड़क की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं रही। जगह-जगह सीमेंट की परत उखड़ गई और गिट्टी बाहर आने लगी।

रहवासियों की परेशानी

स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण के दौरान भी उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा और अब तैयार सड़क ने और ज्यादा परेशानी बढ़ा दी है। कई हिस्सों में गड्ढे और गिट्टी दिखाई देने लगी है। इसके अलावा निकासी की व्यवस्था न होने से बारिश के समय पानी सीधे घरों में घुस जाता है।

जांच और संभावित कार्रवाई

अधिकारियों के मुताबिक, कोर कटिंग से लिए गए सैंपल की रिपोर्ट पर ही ठेकेदार के भुगतान और आगे की कार्रवाई तय होगी। यदि रिपोर्ट में गुणवत्ता खराब साबित हुई तो ठेकेदार पर दंडात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। हालांकि नगर पालिका ने भुगतान रोककर अपनी जिम्मेदारी निभाई है, लेकिन निगरानी की कमी पर भी सवाल उठ रहे हैं।

शासन स्तर पर फैसला

पूरा मामला अब शासन स्तर तक पहुंच गया है। नपा ने संबंधित ठेकेदार का भुगतान रोकते हुए भोपाल को रिपोर्ट भेज दी है। वहां से आने वाली जांच रिपोर्ट के आधार पर अंतिम निर्णय होगा।

भविष्य के लिए सुझाव

विशेषज्ञों का मानना है कि आगे ऐसे विवाद न हों इसके लिए निर्माण कार्यों की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, जीपीएस ट्रैकिंग और समयबद्ध रिपोर्टिंग को लागू करना चाहिए। साथ ही ठेकेदारों के अनुभव और पूर्व रिकॉर्ड को भी ध्यान में रखा जाना जरूरी है।

वित्तीय स्थिति

कायाकल्प योजना के तहत सड़क निर्माण के लिए 3.15 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। शासन से पहली किस्त के रूप में 1.85 करोड़ रुपये नगर पालिका को मिले थे। निर्माण में गड़बड़ी के कारण यह राशि पूरी तरह खर्च नहीं हो सकी और अधूरा काम भी रुक गया। बाद में नपा ने खुद के स्तर पर टेंडर जारी कर अधूरे मार्ग को पूरा कराया। अंततः नपा को प्राप्त राशि में से 1.85 करोड़ रुपये शासन को वापस करना पड़े।

लोगों की उम्मीदें

लंबे समय से इस सड़क पर आवाजाही करने वाले लोगों को अब भोपाल से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार है। रहवासी चाहते हैं कि इस बार दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में शहर के विकास कार्यों में लापरवाही न हो।