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केंद्र की टीम ने शुरू की सात मार्गों की सैम्पलिंग

 

Guna News: घाटों की सड़कों की गुणवत्ता पर विशेष केंद्रीय दल पहली बार नगर पालिका द्वारा हाल ही में बनवाई गई सात सड़कों की विस्तृत जांच करने शहर पहुंचा है। निरीक्षण में जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ रिटायर्ड इंजीनियर भी शामिल हैं और उनकी निगरानी में सड़कों के नमूने लिए जा रहे हैं। टीम में राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग के इंजीनियर भी साथ हैं। यह दल लगभग आठ दिन तक रहकर निर्धारित मार्गों पर माप-तौल और सामग्री परीक्षण कराएगा।

टीम ने निरीक्षण का काम प्रताप छात्रावास रोड से आरम्भ किया; हालांकि यह मार्ग विशेष कायाकल्प योजना के दायरे में नहीं आता, पर इसका भी नमूना लिया गया। अगले दिनों में कैंट रोड पर कैंची कारखाने से बांसखेड़ी अंडरपास तक, टीआईटी कॉम्प्लेक्स से घोसीपुरा, शास्त्री पार्क के आसपास बनी किनारों वाली सड़कों तथा पुलिस लाइन कालोनी से कैंट-सदर बाजार मार्ग की जांच की जाएगी। इनमें अधिकांश डामर (एएस्फाल्ट) सड़कें हैं, जबकि कालापाठा व आरके पुरम की कुछ कॉलोनियों में बने सीसी (कंक्रीट) मार्गों के भी सैंपल लिए जा रहे हैं।

जांच दल द्वारा किये जा रहे परीक्षणों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि साइट पर हुए कार्य उस अनुमान और निर्माण विवरण के अनुरूप हैं या नहीं। एस्टीमेट में जिन मापों — जैसे सतह की मोटाई, लेयरिंग और समतलीकरण — का उल्लेख है, क्या वे सही मात्रा में निष्पादित हुए हैं, यह मिलान किया जाएगा। साथ ही निर्माण में प्रयुक्त सामग्रियों की ग्रेड व अनुपात की भी पुष्टि की जाएगी। खास उपकरणों की मदद से सड़क के एक टुकड़े को निकाल कर उसे गर्म कर डामर अलग किया जाता है और बची हुई गिट्टी व विभिन्न परतों का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाता है।

निरीक्षण के दौरान एक वरिष्ठ इंजीनियर ने कहा कि पुराने अनुभवों के आधार पर माप-पत्र और साइट पर किये कार्यों के बीच असंगति मिलने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि सही उपकरणों का उपयोग अनिवार्य है; टीम ने निरीक्षण के पहले दिन कुछ उपकरणों के अभाव पर तीखी टिप्पणी भी की, जिसके बाद आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था करायी गयी।

यह कदम नगर पालिका द्वारा किये गए निर्माणों की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है, खासकर तब जब भुगतान पहले ही हो चुका है। पिछले समय में राज्य स्तर की जाँच समितियों ने अक्सर भुगतान के बाद सड़क की गुणवत्ता को चुनौती नहीं दी, पर इस बार केंद्रीय दल का आना और स्वतंत्र नमूनों का लैब परीक्षण शहरी बुनियादी ढांचे में जवाबदेही बढ़ाने का संकेत माना जा रहा है।

स्थानीय प्रशासन ने टीम को हरसंभव सहयोग दिए जाने की बात कही है। निरीक्षण के नतीजे और प्रयोगशाला रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट होगा कि कार्यों में मानक का पालन हुआ है या नहीं, और यदि आवश्यक हुआ तो सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। इस प्रक्रिया से नागरिकों को दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार तथा निर्माण संबंधित अनियमितताओं पर समय पर नियंत्रण मिलने की उम्मीद है।

स्थानीय लोगों ने निरीक्षण की पहल को सकारात्मक बताया है, क्योंकि इससे भविष्य में निर्माण गुणवत्ता की पारदर्शिता बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित स्वतंत्र जाँच से ठेकेदारों की जवाबदेही सुस्पष्ट होगी और मरम्मत कार्यों के लिए समय पर धनराशि रद्दीकरण की संभावना कम होगी। साथ ही बरसात के दौरान जलनिकासी व सतह क्षरण संबंधी जोखिमों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। रिपोर्ट की उपलब्धता व परिणामों के सार्वजनिक होने से सुधार हेतु मार्गदर्शन मिलने की सम्भावना भी बढ़ेगी।