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मरीजों को प्लास्टिक के बर्तन और हाथ में थमाई जा रही रोटी, भोजन व्यवस्था पर सवाल

 

Tikamgarh News: टीकमगढ़ के जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को दी जाने वाली मुफ्त भोजन व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मरीजों को स्टील की थाली में भोजन दिए जाने का नियम है, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है। यहाँ मरीजों को प्लास्टिक के डिब्बे, लोटा, गिलास या मग्गे में दाल-सब्जी दी जा रही है। इतना ही नहीं, रोटी सीधे हाथों में थमा दी जाती है।

अस्पताल में भोजन वितरण की जिम्मेदारी जिस निजी कंपनी को सौंपी गई है, उस पर मीनू का पालन न करने और घटिया स्तर पर भोजन उपलब्ध कराने के आरोप लग रहे हैं। नोटिस मिलने के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ।

थाली के बजाय डिब्बे में भोजन

अस्पताल के वार्डों में कंपनी के कर्मचारी छोटी ट्रॉली लेकर जाते हैं, जिसमें दाल, सब्जी, दलिया और रोटियां रखी होती हैं। वे दोपहर और रात को एक-एक घंटे के बीच वार्डों में पहुंचते हैं और आवाज लगाते हैं कि भोजन लेने के लिए मरीज या उनके परिजन बर्तन लेकर आएं। जिनके पास बर्तन नहीं होते, उन्हें या तो प्लास्टिक के डिब्बे और गिलास में भोजन लेना पड़ता है या रोटी सीधे हाथ में थमा दी जाती है। अचानक भर्ती हुए मरीज और उनके परिजन बताते हैं कि अस्पताल आने की जल्दी में वे बर्तन नहीं ला पाते, जिसके कारण उन्हें इसी तरह खाना लेना पड़ता है।

दूध और फल का अभाव

मरीजों का कहना है कि भोजन न तो तय मीनू के अनुसार मिलता है और न ही उसकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है। अस्पताल प्रशासन द्वारा कंपनी को प्रति मरीज भुगतान किया जाता है—सामान्य मरीजों के लिए 50 रुपये और प्रसूता महिलाओं के लिए 100 रुपये। इसके बावजूद मरीजों को रोज एक जैसा भोजन दिया जाता है। नियम के अनुसार सुबह और रात में 250 एमएल दूध दिया जाना चाहिए, लेकिन केवल 50 एमएल ही मिल पाता है। वहीं, फल और अन्य पोषक आहार मीनू में होने के बावजूद मरीजों को उपलब्ध नहीं कराए जाते।

निरीक्षण में सामने आईं खामियां

करीब दो महीने पहले भोजन व्यवस्था का निरीक्षण किया गया था, जिसमें कई गड़बड़ियां पाई गईं। न तो स्टील की थालियां थीं और न ही किचन में ताजे सब्जियों का उपयोग हो रहा था। फ्रीज में उचित भंडारण नहीं पाया गया और गुड़ के लड्डू व फल भी गायब थे। इन खामियों को लेकर कंपनी को नोटिस जारी किया गया और ब्लैकलिस्ट करने तक की चेतावनी दी गई।

मरीजों की बढ़ती परेशानी

अस्पताल में औसतन 350 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। इनमें बड़ी संख्या में प्रसूता महिलाएं भी होती हैं, जिनके लिए पोषणयुक्त भोजन बेहद जरूरी है। लेकिन लापरवाही और नियमों की अनदेखी से मरीज और उनके परिजन नाराज हैं। कई मरीजों ने बताया कि अस्पताल में मुफ्त भोजन की सुविधा तो है, लेकिन उसका स्तर इतना खराब है कि कभी-कभी वे बाहर से खाना मंगवाने को मजबूर हो जाते हैं।

कार्रवाई का आश्वासन

अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि भोजन वितरण की शिकायतों की जांच की जा रही है। यदि कंपनी द्वारा सुधार नहीं किया गया तो नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल कंपनी को अंतिम मौका दिया गया है।