मूंगफली का छिलका बना कमाई का जरिया, 4 रुपये किलो तक बिक रहा
Chhatarpur News: महाराजपुर, गढ़ीमलहरा, मजगुवां, नेगुवां और डिंगपुरा सहित आसपास के इलाकों में मूंगफली की खेती बड़े पैमाने पर होती है। पहले किसान मूंगफली के छिलके को बेकार समझते थे, क्योंकि यह आसानी से नष्ट नहीं होता था। न तो जानवर इसे खाते थे और न ही यह ठीक से जलता था। बरसात में छिलकों के ढेर से दुर्गंध आती थी और आग लगाने पर यह कई दिनों तक सुलगता रहता था।
लेकिन अब यही छिलका किसानों के लिए आमदनी का नया साधन बन गया है। नेगुवां के किसान हजारीलाल रिछारिया और ढिगपुरा के रामबाबू पाठक बताते हैं कि पिछले एक साल से मूंगफली का छिलका 3 से 4 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है। महोबा, कानपुर और नोएडा के व्यापारी गांवों से सीधे छिलका खरीदकर ले जा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर भी व्यापारियों की रुचि बढ़ी है।
सिला रोड पर एक प्लांट स्थापित किया गया है, जहां किसानों से मूंगफली का छिलका, भूसा और तिली, सरसों के अवशेष खरीदे जाते हैं। प्लांट में इनसे 5 इंच मोटी लकड़ी जैसी छड़ें बनती हैं, जिन्हें एक फीट लंबा काटकर ईंधन के रूप में सप्लाई किया जाता है। ये छड़ें कोयले की जगह इस्तेमाल की जा रही हैं, क्योंकि इनसेधुंआ नहीं निकलता। नोएडा, कानपुर, दिल्ली, प्रयागराज जैसे शहरों के उद्योगों में इनका उपयोग हो रहा है।